Shambhu Border पर किसान ओर व्यापारिेयों में क्यों हुई भिंडत, जानिए क्या है विवाद ?

shumbu border ambala

 Shambhu Border: 13 फरवरी से Shambhu Border पर Kisan Aandolan  चल रहा है। उनकी मांग है कि उन्हें MSP  दी जाए। Shambhu Borde पर लगाए गए मंच पर रविवार को तनाव पूर्ण माहौल बन गया, जब लगभग सौ से अधिक व्यापारी पहुंच गए। किसानों ने आरोप लगाया कि वो मंच को कब्जाने का प्रयास करने लगे।

 

इस दि से Shambhu Bordeपर चल रहा किसान आंदोलन
बता दें कि 13 फरवरी से Shambhu Borde पर किसानों का Kisan  Aandolan  चल रहा है। उनकी मांग है कि उन्हें एमएसपी दी जाए। इसके लिए दिल्ली कूच कर रहे थे, लेकिन शंभू बॉर्डर पर कंकरीट की दीवारें बना दी गई थी।

इस कारण किसान आगे नहीं बढ़ सके थे। तब से किसान वहीं पर बैठे हैं। इसी आंदोलन में रविवार को लगभग सौ लोग इकट्ठा होकर पहुंच गए, जिन्होंने मंच को कब्जाने का प्रयास किया। इस दौरान किसानों के साथ बहस हो गई।

Kisan  Aandolan: इसका किसानों ने विरोध कर दिया, जिसके चलते पहले किसानों ने Shambhu Borde पुलिस चौकी में शिकायत दे दी है और उसके बाद अंबाला शहर अनाज मंडी स्थित किसान भवन में मीटिंग बुलाई। जहां फैसला लिया गया यदि आंदोलन खराब किया तो उसका खुद भुगतान करना पड़ेगा।

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व्यापारियों पर लगाए मंच कब्जाने के आरोप
किसानों ने आरोप लगाया कि कपड़ा मार्केट के कारोबारी कुछ लोगों के साथ किसानों के मंच पर पहुंचे और मंच कब्जाने का प्रयास किया। भारतीय किसान शहीद भगत सिंह यूनियन के जिला प्रधान गुरमीत सिंह माजरी ने बताया कि सड़क किसानों ने नहीं रोकी है, सरकार की ओर से दीवार बनाई गई है।

जो साथी माहौल खराब करने गए हैं वह राजनीति चमकाने में लगे हुए हैं और उनका आंदोलन को खराब करना चाहते हैं। यदि आने वाले समय में ऐसा कदमा उठाया तो उसका भुगतान खुद करना होगा। इस मामले में किसान संयुक्त किसान मोर्चा सख्त कदम उठाएगा। इन लोगों के खिलाफ Shambhu Borde चौकी में शिकायत दर्ज करवा दी है। जिनको पुलिस की ओर से चिन्हित किया जाएगा। Shambhu Borde

 

उन्होंने बताया कि यदि किसानों को रास्ता खोलने का ज्ञापन देना था तो शहीद यूनियन से मीटिंग करते। किसान यूनियन व्यापारियों के साथ खड़ी थी। लेकिन कुछ लोगों ने मोर्चा पर जाकर धरना खराब करने का प्रयास किया है। उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

 

शंभू बॉर्डर, जो पंजाब और हरियाणा के बीच स्थित है, वर्तमान में किसानों और व्यापारियों के बीच विवाद का केंद्र बन गया है। यह स्थान पिछले कुछ समय से लगातार विवाद और तनाव का सामना कर रहा है, जिससे दोनों राज्यों के बीच आर्थिक और सामाजिक संबंध प्रभावित हो रहे हैं। शंभू बॉर्डर पर स्थिति इतनी गंभीर हो चुकी है कि यहां अक्सर विरोध प्रदर्शन और आंदोलन होते रहते हैं।

किसानों का कहना है कि उनकी मांगें पूर्ण रूप से जायज़ हैं और उन्हें सरकार द्वारा अनदेखा किया जा रहा है। वे अपने हक की लड़ाई लड़ रहे हैं और इसके लिए शंभू बॉर्डर पर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। दूसरी ओर, व्यापारी इस स्थिति से काफी परेशान हैं, क्योंकि इस विवाद के चलते उनकी व्यापारिक गतिविधियों में बाधा उत्पन्न हो रही है। यह तनावपूर्ण स्थिति न केवल आर्थिक नुकसान का कारण बन रही है, बल्कि समाजिक सद्भावना को भी प्रभावित कर रही है।

इस विवाद की पृष्ठभूमि में कई कारण हैं। सबसे प्रमुख कारणों में से एक है कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का विरोध। किसान इन कानूनों को अपने हितों के खिलाफ मानते हैं और उन्हें पूरी तरह से रद्द करने की मांग कर रहे हैं। वहीं, व्यापारी इन कानूनों के समर्थन में हैं और उनका मानना है कि ये कानून कृषि और व्यापारिक क्षेत्र में सुधार लाने में मदद करेंगे।

शंभू बॉर्डर पर वर्तमान स्थिति बेहद तनावपूर्ण है और दोनों पक्ष अपनी-अपनी मांगों पर अड़े हुए हैं। इस विवाद के समाधान के लिए सरकार और संबंधित पक्षों को मिलकर काम करने की आवश्यकता है, ताकि इस मुद्दे का शांतिपूर्ण समाधान निकाला जा सके और दोनों राज्यों के बीच संबंध सामान्य हो सकें।

 

व्यापारियों के दृष्टिकोण और चिंताएं

शंभू बॉर्डर पर तनाव ने व्यापारियों के लिए गंभीर समस्याएं उत्पन्न कर दी हैं। इस विवाद के चलते व्यापारियों का व्यवसाय प्रभावित हो रहा है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति पर गहरा असर पड़ा है। व्यापारियों के दृष्टिकोण से देखें तो यह समस्या केवल व्यापारिक गतिविधियों को बाधित करने तक सीमित नहीं है, बल्कि उनके रोजमर्रा के जीवन को भी प्रभावित कर रही है।

इस विवाद के कारण माल की आवाजाही में देरी हो रही है, जिससे व्यापारियों को समय पर अपने ग्राहकों तक सामग्री पहुंचाने में मुश्किल हो रही है। इसके परिणामस्वरूप, व्यापारियों को आर्थिक हानि का सामना करना पड़ रहा है और उनका कारोबार तेजी से गिरावट की ओर बढ़ रहा है। व्यापारियों की मुख्य चिंताओं में से एक यह भी है कि इस विवाद का समाधान जल्दी से नहीं हो पा रहा है, जिससे उनकी समस्याएं और बढ़ रही हैं।