Political news Haryana: विधानसभा चुनाव (Haryana Election)के लिए बिगुल बज चुका है। हरियाणा में एक अक्टूबर का चुनाव होना है। टिकट का ऐलान भी जल्द होने वाला है। दक्षिण हरियाणा में टिकट को लेकर जंग शुरू हो गई है।
एक बार फिर नकली व असली भाजपा के बीच शुरू हो गई है। अगर इस बार भी भाजपा में इसी जगह जंग रही तो एक बार फिर कांग्रेस का फायदा होने की आशंका जताई जा रही है।
पिछले विधानसभा चुनाव में राव इंद्रजीत सिंह के इशारे पर रेवाडी से सुनील मुसेपुर को टिकट मिली थी। जिससे उनकी ताकत बढी है। पार्टी ने एक तरह से दक्षिणी हरियाणा को फतह करने के लिए राव के आगे एक तरह से सरेंडर ही कर दिया था।
इस बार भी टिकट के लिए राव इद्रंजीत को बाइपास करके हाईकमान पर छुटपुट नेता पहुंच रहे है अब देखना यह है हाई कमान किसे ज्यादा महत्त्व देता है।
Haryana Election: राव अपने खास समर्थकों को ही चुनाव लड़वायेंगे
लोकसभा में जीत दर्ज होन पर राव इंद्रजीत का एक फिर कद बढ गया है। साफ जाहिर है कि आधा दर्जन से अधिक सीटों पर राव अपने खास समर्थकों को ही चुनाव लड़वायेंगे। दक्षिणी हरियाणा की बाकी बची सीटों पर भी राव को भी विश्वास को लेकर ही नाम तय किए जाने है।
भाजपा की लोकसभा के बाद पहले ही वोट बैंक घटता जा रही हैं इसी के चलते पार्टी किसी भी कीमत पर राव की नाराजगी मोल लेना नहीं चाहतीहै। पार्टी भी यह जानती है कि,अगर तीसरी बार सत्ता में लौटना है तो, दक्षिणी हरियाणा के किले को फतह करना ही होगा।
राव की ताकत बढ़ने के साथ ही रेवाड़ी विधानसभा की भी अब तस्वीर उभरने लगी है। वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव की बात करें तो राव इंदरजीत सिंह ने अपने खास समर्थक सुनील मूसेपुर को टिकट दिलवाया था। इस बार राव के इशारे पर ही टिकट दी जाएगी।
बिगाड सकते है दो नए चेहरे रेवाड़ी के समीकरण
रेवाड़ी से टिकट को लेकर 8 से ज्यादा दावेदार है। जो सारे राव इद्रंजीत के पक्ष में नहीं है। भले ही भाजपा को ज्वाईन करके भाजप की सदस्यता ले ली हो।
पिछले बार भी भाजपा के ही कुछ नेताओं ने कैप्टन परिवार को लाभ पहुंचाने के लिए ऐसी रणनीति तैयार की थी कि भाजपा प्रत्याशी जीत ही नहीं पाया ओर केंद्रीय मंत्री को बडा झटका दिला दिय था। इस बार फिर से यही समीकरण् बनते नजर आ रहे है।
पार्टी ने भी बगावती सुर अपनाने वालों के खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया, बल्कि चुपचाप हार को स्वीकार कर लिया था।
जानिए किसको कितना मत मिला
सतीश यादव ने वर्ष 2009 में बतौर निर्दलीय चुनाव लड़ा और उन्होंने 35 हजार से अधिक मत हासिल किये थे। भाजपा के दूसरे नेता कापड़ीवास ने भी भाजपा की टिकट पर इस चुनाव में करीब 24 हजार मत प्राप्त किये।
वर्ष 2014 के चुनाव में भी दोनों ने अच्छा प्रदर्शन किया। इस चुनाव में करीब 81 हजार मत लेकर कापड़ीवास विधायक बने तथा इनेलो की टिकट पर चुनाव लड़ रहे सतीश यादव ने करीब 35 हजार मत हासिल किया।
रेवाड़ी की दुर्दशा के लिए आखिर जिम्मेदार कौन?
कोई रेवाड़ी की दुर्दशा के लिए आखिर जिम्मेदार कौन है। भाजपा वाले इसके लिए विधायक चिरंजीव राव को दोषी मानते है। जबकि कई लोग नगर परिषद की चेयरपर्सन पूनम यादव को इसके लिए जिम्मेदार ठहराता है।
जबकि कारण यह कि भाजपा के नेताओ की आपसी खिचतान ही रेवाड़ी के विकास के लिए जिम्मेदार है।
ऐसा ही लेकिन कुछ नेताओं के निजी स्वार्थ के कारण गत पांच वर्षों में रेवाड़ी के विकास से पिछाड दिया है। इतना ज्यादा बोट बैंक होने के बावजूद पिछले बार विधानसभा की सीट भाजपा ने गंवा दी थी।
इतना ही नहीं इस चुनाव में भी जनता को ठगने की पूरी तैयारी कर ली गई है। अब जनता पिछले चुनाव से कितना सबक ले पाई वह तो चुनाव परिणाम के बाद ही पता चलेगा।