साहबी बैराज के पानी के तीन बार सैंपल फैल, कार्रवाई के नाम जिम्मेदारों ने क्यों साधी चुप्पी
झील बनाने के दिखाए सपने ओर बना दी गंदे पानी का जोहड
NGT: किसी ने ठीक ही कहा है घर की बही… काका लिखणिया… ये कहावत आजकल रेवाडी जिला प्रशासन पर सही चरितार्थ होती है। जिस साहबी मसानी बैराज में लोगो को झील बनाने के सपने दिखाए थे, वहीं आज प्रशासन की मिलीभगत से दूषित पानी की झील बन गई है। आलम यहां तक कि सेंपल फेल होने के बावजूद एसटीपी पर कार्रवाई की बजाय सैंपलों को ही पास दिखाकर शिकायत को बदं करने का प्रयास किया जा रहा है।
जानिए क्या है विवाद: एनजीटी की फटकार के बाजवूद धडल्ले से साहबी बेराज झील में दूषित पानी छोडा जा रहा है। न तो जन स्वास्थ्य विभाग तथा न ही हरियाणा शहरी प्राधिकरण सीवरेज के पानी को ट्रीट कर रहा है। पानी की सही स्थिति जानने के लिए सयुक्त् कमेटी ने 8 अप्रैल को लिए पानी के सेंपल लिए गए थे। जो कि फेल हो गए है।
बता दे कि प्रकाश यादव ने मसानी बैराज में प्रदूषित पानी को लेकर एनजीटी 30 सितंबर को शिकायत की। एनजीटी ने डीसी को कमेटी बनाकर दोबारा से सेंपल लेकर रिपोर्ट प्रस्तुत करने के आदेश जारी किए थे। टीम ने 25 नवंबर को पानी के 10 सैंपल लिए थे। सारे सैंपल फैल मिले थे।
टीम ने 8 अप्रैल को मसानी, खरखडा, निखरी, खिजूरी, रसगण, ततारपुर खासलस सहित 10 गांवो के पानी के सैपल लिए गए है। उनकी रिपोर्ट अब आई है। यह पानी भी पीने योग्य नहीं है। सबसे अहम बात यह है बार बार सैंपल फैल होने के बावजूद लापरवाही करने वालो विभाग पर कार्रवाई करने की बजाय दोबारा से सेंपल लेकर आम जनता को गुमराह किया जा रहा है।
पंचायत की चेतावनी का कोई असर नही: 25 गांवों के प्रतिनिधियों ने भी महापंचायत की थी। लेकिन अभी तक उस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है। छोेडे जा रहे पानी से भूमिगत जल स्तर भी खराब हो चुका है।
प्रशासन ने खेला नया खेल: प्रशासन ने की ओर से एनजीटी का पत्र लिखकर इतना किया है कि धारूहेडा के दोनो एसटीपी सही है तथा पानी को ट्रीट किया जा रहा है। इतना ही नहीं यह भी कहा है एनजीटी ओर से हरियाण् प्रदूषण विभाग की ओर से जो जुर्माना लगाया गया है उसे केसिल किया जाए।