National Lok Adalat: लोक अदालत कानूनी सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987 के तहत एक वैधानिक संगठन है , पारंपरिक अदालत प्रणाली के बाहर विवादों/शिकायतों को हल करने के लिए भारत में वैकल्पिक विवाद समाधान तंत्र के रूप में बनाया गया था।National Lok Adalat
बता दे दे यह एक ऐसा मंच है जहाँ पंचायत के समक्ष लंबित मामलों , या कानून की अदालत में मुकदमेबाजी से पहले के चरण का निपटारा किया जाता है। इस अधिनियम के तहत, लोक अदालतों द्वारा दिए गए पुरस्कार (निर्णय) को एक सिविल अदालत का मामला माना जाता है और यह अंतिम और सभी पक्षों पर बाध्यकारी होता है। National Lok Adalat
इस तरह के पुरस्कार के खिलाफ कोई औपचारिक अपील किसी भी अदालत में नहीं होती है। हालांकि, अगर पक्ष लोक अदालत के पुरस्कार से संतुष्ट नहीं हैं, तो वे अभी भी उचित अधिकार क्षेत्र की अदालत का दरवाजा खटखटाकर मुकदमा शुरू करने के लिए स्वतंत्र हैं।?
1987 में वैकल्पिक विवाद निवारण तंत्र का उपयोग करने के लिए एक वैधानिक दर्जा दिया गया। [ 4 ] पहली लोक अदालतें गुजरात में [ 5 ] 1982 में और चेन्नई में 1986 में आयोजित की गईं।National Lok Adalat
विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम 1987 की धारा 22 बी एक या अधिक सार्वजनिक उपयोगिता सेवाओं (पीयूएस) के संबंध में अधिकार क्षेत्र का प्रयोग करने के लिए स्थायी लोक अदालतों (पीएलए) की स्थापना का प्रावधान करती है। विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम 1987 की धारा 22 ए में बताया गया है कि स्थायी लोक अदालत के उद्देश्य के लिए ‘सार्वजनिक उपयोगिता सेवाओं’ में क्या शामिल है।
National Lok Adalat के स्तर
राज्य प्राधिकरण।
उच्च न्यायालय।
जिला और तालुका स्तर पर।

National Lok Adalat के प्रकार:
स्थायी लोक अदालत – सार्वजनिक उपयोगिता सेवाओं, परिवहन, डाक और टेलीग्राफ से संबंधित मामलों के निपटान के लिए एक तंत्र प्रदान करती है।
राष्ट्रीय लोक अदालत – वर्ष 2015 से, ये पूरे भारत में हर महीने विशिष्ट विषयों पर आयोजित की जाती हैं। ये एक ही दिन में आयोजित की जाती हैं, जिसमें बड़ी संख्या में लंबित मामलों का निपटारा किया जाता है। National Lok Adalat
मेगा लोक अदालत – राज्य की सभी अदालतों में एक ही दिन में आयोजित की जाती है।
मोबाइल लोक अदालतें – इस प्रकार की लोक अदालतें कभी-कभी आयोजित की जाती हैं, और वे विवादों को सुलझाने में मदद करने के लिए देश भर में एक स्थान से दूसरे स्थान तक जाती हैं।
हरियाणा में लोक अदालत 12 को: दोनों पक्षों की सहमति से मामलों का निपटारा करने के लिए इस बार राष्ट्रीय लोक अदालत 12 जुलाई को लगाई जाएगी। इसी क्रम में रेवाडी न्यायिक परिसर में 12 जुलाई को राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया जाएगा। लोक अदालत में सहमति से मामलों का निपटारा किया जाता है।
जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव व सीजेएम अमित वर्मा ने बताया कि इस राष्ट्रीय लोक अदालत का मुख्य उद्देश्य लंबित मामलों का सुलह समझौते से निपटारा करवाना है। लोक अदालत में ट्रैफिक चालान, बैंक रिकवरी, मोटर वाहन दुर्घटना अधिनियम, पारिवारिक विवाद, दीवानी एवं फौजदारी मामले, श्रम विवाद, भूमि अधिग्रहण, बिजली-पानी के बिलों और राजस्व आदि के मामलों का निपटारा किया जाएगा।National Lok Adalat
सीजेएम ने आमजन से 12 जुलाई को आयोजित होने वाली लोक अदालत का लाभ उठाने की अपील की है। उन्होंने बताया कि कोर्ट में अपने लंबित प्रकरणों को आपसी सहमति से हल करवा लेने में ही फायदा है। कोई भी केस में कोर्ट में चलता है तो लोगों को उसके लिए बार-बार चक्कर लगाने पड़ते हैं।

















