Haryana Pollution: गुरुग्राम में अक्टूबर से फरवरी तक हवा का प्रदूषण बेहद गंभीर हो जाता है। हर साल की तरह इस बार भी एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) खराब दर्ज किया गया है। बुधवार को गुरुग्राम का AQI 223 रहा, जो सेहत के लिए खतरनाक है। उपाय के तौर पर कुछ कदम जरूर उठाए जाते हैं जैसे सड़कों पर पानी छिड़कना, वाहनों पर जुर्माना लगाना और निर्माण कार्यों को अस्थायी रूप से रोकना, लेकिन ये अस्थायी उपाय ही साबित होते हैं। असली समस्या शहर की अव्यवस्था, सफाई की लापरवाही और सिस्टम की कमजोरी है।
शहर में खुले में कूड़ा फैला रहता है, निर्माण स्थल से धूल उड़ती है, और कूड़ा निस्तारण ठीक से नहीं हो पाता। नगर निगम के आंकड़ों के अनुसार, यहां से निकलने वाले कचरे में से केवल 65-70 प्रतिशत ही उठाया जाता है, बाकी 30 प्रतिशत सड़क, नालों और खाली जगहों पर पड़ा रहता है, जिससे हवा और भी प्रदूषित होती है। सफाई के लिए रखी गई मैकेनिकल स्वीपिंग मशीनें भी या तो खराब हैं या ठीक से काम नहीं कर रही हैं।
नगर निगम की तरफ से सड़कों पर पानी छिड़कने का काम होता है, लेकिन यह काम सिर्फ मुख्य सड़कों तक सीमित है। कॉलोनियों और अंदरूनी इलाकों में यह व्यवस्था नहीं है, इसलिए धूल फिर से उड़ती रहती है।
निर्माण स्थलों पर भी नियमों की अनदेखी हो रही है। बिल्डर निर्माण सामग्री खुले में रखकर धूल उड़ाते हैं, जबकि डस्ट पोर्टल पर पंजीकरण और एंटी-स्मॉग उपकरण लगाना अनिवार्य है।
बंधवाड़ी लैंडफिल पर 14 लाख टन कूड़ा सड़ रहा है, जो जहरीली गैसें पैदा कर रहा है। सफाई एजेंसियों को करोड़ों रुपये का भुगतान होता है, लेकिन सफाई का काम ठीक से नहीं होता।
गुरुग्राम में सिर्फ चार प्रदूषण मापक यंत्र हैं, जो 40 लाख की आबादी के लिए बेहद कम हैं। इस स्थिति में सवाल यह उठता है कि जब खर्चा इतना हो रहा है तो हवा इतनी जहरीली क्यों बनी रहती है। प्रदूषण की यह समस्या जल्द समाधान मांगती है वरना लोगों की सेहत पर भारी असर पड़ेगा।

















