Haryana News : पहचान खोजने निकली राजपूत प्रतिनिधि सभा, गांव गांव जाकर किया जाएगा डाटा एकत्रित

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हरियाणा: हरियाणा राजपूत प्रतिनिधि सभा ने परिवार पहचान पत्र के सार्वजनिक हुए डाटा को लेकर राजपूत समाज का डाटा निकालने की मुहिम शुरू की है। 15 अगस्त से पहले पूरे हरियाणा के सभी जिला मुख्यालयों पर जाकर प्रदेश के राजपूत आबादी वाले गांवो का पूरे इतिहास के डाटा एकत्रित जांएगे।

हरियाणा में परिवार पहचान पत्र के डाटा अनुसार राज्य में कुल जनसंख्या 2 करोड़ 83 लाख सामने आई है। पिछड़ा वर्ग की पोर्टल में दर्ज हुई आबादी 30.35 प्रतिशत और अनुसूचित जाति 20.71 प्रतिशत दिखाई गई है। इसके मुताबिक राज्य में कुल आबादी का 51 प्रतिशत पिछड़ा व अनुसूचित वर्ग यानि 1 करोड़ 44 लाख जनसंख्या वाला है।Haryana: केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत इशारे पर दूषित पानी को लेकर राजस्थान सरकार के खिलाफ मामला दर्ज, जानिए अब आगे क्या होगा

बाकी 49 प्रतिशत आबादी यानि 1 करोड़ 39 लाख में समान्य वर्ग जिसमें जाट , राजपूत,ब्राह्मण, वैश्य, पंजाबी, बिश्नोई, रोड़ तथा अल्पसंख्यक मुसलमान,सिख,जैन आदि शामिल हैं। हरियाणा राजपूत प्रतिनिधि सभा ने परिवार पहचान पत्र के सार्वजनिक हुए इस डाटा में राजपूत समाज का डाटा निकालने की मुहिम शुरू की है।

इन जिलो का हो चुका है दौरा

सभा के अध्यक्ष राव नरेश चौहान राष्ट्रपूत ने बताया कि मिशन हरियाणा परिसीमन 2026 जिला संपर्क अभियान के तहत अब तक पंचकूला, अंबाला, यमुनानगर ,कुरुक्षेत्र, कैथल जींद ,पानीपत जिलों में सभा की जिला इकाईयों से उनके साथ मीडिया प्रभारी यशपाल ददलाना, महासचिव तिलक राज चौहान, कोषाध्यक्ष कँवरपाल परमार, युवा नेता रिंकू राणा की टीम दौरा कर चुकी है।

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15 अगस्त से पहले पूरे हरियाणा के सभी जिला मुख्यालयों पर जाकर प्रदेश के राजपूत आबादी वाले गांव,बस्ती,पंचायत,शहर में रहने वाले राजपूत समाज की जनसंख्या,रोजगार,व्यापार,इतिहास,उपलब्धियों का ब्यौरा जुटाया जाएगा। राजनीतिक उचित प्रतिनिधित्व न हो पाने के कारण समाज के साथ उपेक्षित व्यवहार निरंतर जारी है।क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रैकिंग रिकोर्ड में हरियाणा पुलिस बनी नंबर वन, यहां पढिए दूसरे राज्यों की क्या है स्थिति

इसका मुख्य कारण परिसीमन के समय राजपूत आबादी वाले गांव एक पटवार,कानूनगो,ब्लॉक सर्कल में न रख कर अलग अलग विधानसभा क्षेत्रों में जोड़ दिए जाते हैं। परिणाम स्वरूप विधानसभा के 17 आरक्षित हल्के और लोकसभा के 2 आरक्षित हल्के निरंतर कई दशकों से आरक्षित चले आ रहे हैं। लोकसभा क्षेत्र अंबाला 1952 से आरक्षित है।

जानिए क्यो एकत्रित कर रहे है डाटा

जबकि पराधीन काल में भी 1930 और 1946 के चुनाव में जब अंबाला-शिमला ग्रामीण क्षेत्र समान्य सीट पर क्रमश ठाकुर माम राज सिंह व ठाकुर रत्न सिंह निर्वाचित हुए थे। विधानसभा क्षेत्रों में मुलाना , होडल, बवानी खेडा , पटौदी, बावल , झज्जर, कलानौर , सदोरा , शाहबाद इसके उदाहरण हैं।

 

सारा डाटा एकत्र होने के बाद आवश्यकता पड़ी तो सर्वोच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर कर आरक्षण को पंचायत राज एक्ट की तरह रोटेशन से किए जाने की मांग की जाएगी।