Haryana news: ओपी चौटाला की रिहाई से हरियाणा में सियासी पारा गरमाया, किसान आंदोलन को भी मिल सकती है गति

हरियाणा: सुनील चौहान। जेबीटी शिक्षक घोटाले में 10 साल की सजा पूरी करने के बाद प्रदेश के पूर्व सीएम और इनेलो सुप्रीमो ओम प्रकाश चौटाला जेल से बाहर आ गए हैं। उनके बाहर आते ही राजनैतिक चर्चा होनी शुरू हो गई। एक बार फिर चौटाला के बाहर आने से हरियाणा में सियासी पारा गर्मा गया है। हालांकि, पहले से ही चौटाला पैरोल पर हैं, लेकिन वे जेल नियमों के कारण खुलकर बाहर नहीं निकल पा रहे थे। अब वह खुलकर राजनीतिक मैदान में उतरेंगे, जिससे वे न केवल अपने संगठन को दोबारा से मजबूत करने पर जोर देंगे, बल्कि सरकार पर भी जोरदार तरीके से हमलावर होंगे।
चौटाला को मंझा हुआ राजनीतिज्ञ और कुशल संगठनकर्ता माना जाता है। पिछले 10 साल में इनेलो टूटकर दो खेमों में बंट चुकी है और जेजेपी भाजपा की मनोहर सरकार में भागीदार है। पारिवारिक विवाद और दो राजनीतिक दल बनने के बाद भी ओमप्रकाश चौटाला आज तक कार्यकर्ताओं से संवाद बनाए हुए हैं। इनेलो का कार्यकर्ता ग्रामीण स्तर पर अधिक माना जाता है, ऐसे में फिर से उनको जोड़ने के लिए पार्टी नई रणनीति तैयार करेगी।
किसान आंदोलन पर रहेगा फोकस:
किसानों के आंदोलन के समर्थन में चौटाला के छोटे पुत्र अभय सिंह चौटाला हरियाणा विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे चुके हैं। बॉर्डर पर किसानों के लिए इनेलो मेडिकल सेवाएं भी उपलब्ध करा रही है। अब चौटाला के बाहर आने से किसान आंदोलन पर भी इनेलो का फोकस रहेगा, क्योंकि चौटाला अच्छे वक्ता होने के साथ-साथ प्रदेश के लोगों की नब्ज भी अच्छी प्रकार से समझते हैं।

उप-चुनाव, पंचायत और निकाय चुनाव में
बरोदा उप चुनाव में भाजपा को हरा कांग्रेस बाजी मार ले गई, लेकिन अब ऐलनाबाद में उपचुनाव होना है। पूर्व सीएम चौटाला के बाहर आने के बाद अब यहां के समीकरण अलग हैं। चौटाला का यहां पर खासा प्रभाव है। दूसरा, अभी प्रदेश में पंचायत और निकाय चुनाव होने हैं। ऐसे में चुनाव इनेलो के लिए परीक्षा की तरह होंगे और इनमें जीत हासिल करने के लेकर वह पूरी ताकत झोंकने की कोशिश करेगी। आगामी दिनों में इनेलो और जेजेपी में राजनीतिक टकराव भी हो सकता है।

क्या चुनाव आयोग दिखाएगा दरियादिली :
पंजाब- हरियाणा हाईकोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार ने बताया कि लोक प्रतिनिधित्व कानून, 1951 की धारा 8 (1 ) के अनुसार अपनी रिहाई से 6 वर्ष की अवधि तक अर्थात जून, 2026 तक ओम प्रकाश चौटाला कोई भी चुनाव नहीं लड़ सकते हैं। हालांकि, अब चौटाला के पास भारतीय चुनाव आयोग से उक्त कानून की धारा-11 में एक याचिका दायर अयोग्यता अवधि को कम करने की प्रार्थना करने का विकल्प है। इसे करने के लिए 3 सदस्यीय चुनाव आयोग कानूनन सक्षम है। हेमंत ने बताया कि पौने दो वर्ष पूर्व सितंबर, 2019 में आयोग ने सिक्किम के वर्तमान मुख्यमंत्री और क्रांतिकारी मोर्चा के नेता प्रेम सिंह तमांग की भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 के अंतर्गत  दोषी पाए जाने के कारण उन पर लगी 6 वर्ष के लिए चुनाव लड़ने की अयोग्यता संबंधी अवधि को घटाकर 1 वर्ष 1 माह कर दिया है।

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