हरियाणा: नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा विभाग हरियाणा द्वारा गौशालाओं, संस्थाओं व डेयरियों में संस्थागत बायोगैस प्लांट लगाने के लिए हरियाणा सरकार द्वारा 40 फीसदी का अनुदान दिया जा रहा है।
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एडीसी स्वप्निल रविंद्र पाटिल बताया कि बायोगैस प्लांट से जहां एक तरफ पर्यावरण प्रदूषित होने से बचेगा व इससे बायो खेती के लिए ऑर्गेनिक खाद भी तैयार करके बेचा जा सकता है। एडीसी ने कहा कि बायोगैस का प्रयोग खाना बनाने और अपने घरेलू बिजली उत्पादन के लिए प्रयोग लाया जा सकता है।
ये है योजना: उन्होंने कहा कि 25 क्यूबिक मीटर के लिए 70 से 80 पशु, 35 क्यूबिक मीटर के लिए 100 से 110 पशु, 45 क्यूबिक मीटर के लिए 125 से 140 पशु, 60 क्यूबिक मीटर के लिए 175 से 180 पशु, 85 क्यूबिक मीटर के लिए 250 से 270 पशुओं की आवश्यकता होती है। उन्होंने कहा कि इच्छुक संस्थाएं, गौशालाएं व डेयरियां संस्थागत बायोगैस प्लांट लगाने के लिए लघु सचिवालय में स्थित एडीसी कार्यालय में अपना आवेदन कर सकते हैं।
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बायोगैस संयंत्र के कई फायदे
बायोगैस संयंत्र के कई फायदे हैं। इससे प्रदूषण नहीं होता है, बायोगैस उत्पादन के लिए आवश्यक कच्चे पदार्थ गांवों में प्रचुर मात्रा में उपलब्ध रहते हैं। इनसे सिर्फ बायोगैस का उत्पादन ही नहीं होता, बल्कि फसलों की उपज बढ़ाने के लिए समृद्ध खाद भी मिलती है। बायोगैस धुंआ मुक्त संयंत्र है। यह प्रदूषण को भी नियंत्रित रखता है, क्योंकि इसमें गोबर खुले में पड़े नहीं रहते, जिससे कीटाणु और मच्छर नहीं पनप पाते। बायोगैस के कारण ल