Chhath Puja : पूर्वांचल क्षेत्रवासियों का सबसे बड़ा पर्व छठ पूजा नहाय खाय से साथ शुरू हो गया है। जगह-जगह पर अस्थाई घाट बनाए गए हैं। इस बार छठ पूजा समितियों की तरफ से पिछले साल के मुकाबले बेहतर तैयारियां की गई हैं। कस्बे मे पिछले बार ही घाट थे जबकि इस 20 से ज्यादा घाट बनाए गए है।
बता दे कस्बे में पूर्वांचल के हजारों लोगों रहते है। आजकल 80 फीसदी लोग छठ पर्व स्थानीय लोग और जिला प्रशासन भी यहीं पर मना रहे है। छठ पर्व पर धारूहेड़ा में पिछले दो दिन से बड़े स्तर पर छठ पूजा तैयारी में लोग व संगठन लगे हुए है। जगह-जगह पर अस्थाई घाट बनाने के लिए सामाजिक संगठन व छठ समितियां लगी हुई है।Chhath Puja
छठ पूजा का दिन तारीख छठ पूजा का मुहूर्त
नहाय खाय 5 नवंबर सुबह 6:36 बजे से शाम 5:33 बजे तक
खरना या लोहंडा 6 नवंबर संध्या में 5:32 बजे यानी सूर्यास्त के बाद
संध्या अर्घ्य 7 नवंबर संध्या अर्घ सूर्यास्त का समय शाम 5 बजकर 25 मिनट
उषा अर्घ्य 8 नवंबर उषा अर्घ सूर्योदय का समय सुबह 6 बजकर 48 मिनट
छठ पर्व मुख्य रूप से षष्ठी तिथि को किया जाता है, लेकिन इसका आरंभ नहाय खाय से हो जाता है यानी छठ पर्व शुरुआत में पहले दिन व्रती ने नहाय खाय किया।
खरना आज: नहाय खाय के बाद खरना किया जाता है जिसमें शाम के समय व्रती गुड़ की खीर बनाकर छठ मैया को भोग लगाती है। उसके बाद पूरा परिवार एक साथ बैठक कर इस प्रसाद को ग्रहण करता है तीसरे दिन अस्त होते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। चौथे दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर छठ पर्व को समापन किया जाता है