ALWAR: कोरोना की आड: बिना डिग्री व बिना अनुमति कोविड मरीजों का इलाज कर रहे पांच अस्पताल सीज

अलवर: सुनील चौहान। इसे मजबूरी कहे या जरूरत। आजकल हर शहरों में कुछ झोलाझाप डाक्टरों के अस्तपाल धडल्ले से चल रहे है। प्रशासन इन्हे अवैध मानता है, वहीं जनता इन्हे ठीक मानती है। बडे अस्पतालों मे कोरोना के चलते जगह नहीं मिलती। अगर मिल भी जाती है इतना ज्यादा पैसा नहीं है कि वे मरीज पर खर्च कर सके। ऐेसें लोंगो में लोगों का शहरोंं में चल रहे छोटे अस्पतालों में शरण लेनी पडती है। तिजारा जिला प्रशासन शहर मे चल रहे ऐसे पांच अस्पतालों को सीज कर दिया। इस दौरान एक अस्पताल संचालक ने प्रशासन की टीम को देख शटर गिरा अंदर से ताला बंद कर लिया। पुलिसकर्मियों ने पड़ोसी के मकान की छत से जाकर गेट खुलाया। प्रशासन को परेशान करने पर संचालक और उसके सहकर्मी को सड़क पर मुर्गा बनाकर सजा दी। खुद को डॉक्टर बता रहे किसी भी अस्पताल संचालक के पास वैध फिजिशियन डिग्री नहीं मिली।

इनके यहां करीब 30 मरीज मिले, जिन्हें राजकीय या अन्य किसी वैध अस्पताल में इलाज कराने की सलाह देकर भेजा गया। गौरतलब है कि दो दिन पहले टपूकड़ा के एक झोलाछाप के अस्पताल में भर्ती कोविड मरीज की मौत का खुलासा हुआ था। इसके बाद प्रशासन ने छापेमार कार्रवाई की। उपखंड अधिकारी खेमाराम यादव ने बताया कि कस्बे में मनीषा हॉस्पिटल, टपूकड़ा हॉस्पिटल, अयात लैब एंड हॉस्पिटल, भागोड़िया क्लिनिक, आशिन क्लिनिक को सीज किया गया है।

मरीजों का इलाज करते मिले झोलाछाप:
गुरुवार दोपहर एसडीएम के नेतृत्व में तहसीलदार द्वारकाप्रसाद, ब्लॉक चिकित्सा अधिकारी मनोज यादव, पटवारी अजीत और थाना पुलिस ने औचक छापेमारी की। इस दौरान इन क्लिनिकों में झोलाछाप डॉक्टर मरीजों का इलाज करते मिले। डिब्बेनुमा संकरी सी जगह में अस्पताल चल रहे थे। इनमें अंदर करीब 25-30 बैड लगे हुए थे।

बाहर अस्पताल का बोर्ड और डॉक्टरों के नामों के बोर्ड लगा रखे थे। इससे मरीज भ्रमित हो जाते हैं। प्रशासन ने संचालकों से मेडिकल डिग्री मांगी। तो किसी के पास वैध डिग्री नहीं मिली। इसके चलते मौके पर ही 4 अस्पतालों को सीज कर दिया गया। जबकि एक िबना नाम के अस्पताल के संचालक ने पुलिस-प्रशासन को देख शटर गिरा अंदर से ताला लगा लिया।
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वैधता पत्र नहीं मिला: टपूकड़ा में 5 अस्पताल कोविड़-19 गाइडलाइन का उल्लंघन कर कोरोना मरीजों का इलाज कर रहे थे। मनमाने चार्ज वसूल रहे थे। इनके पास कोई डिग्री और वैधता पत्र नहीं था। इस तरह ये मरीजों की जान खतरे में डाल रहे थे। प्रशासन को कोरोना मरीजों के बारे सूचना तक नहीं दे रहे थे। इस तरह की शिकायतों के बाद कार्रवाई की गई। इस तरह की कार्रवाई आगे भी जारी रहेगी। – खेमाराम यादव, एसडीएम तिजारा
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खूब समझाया, गेट नहीं खोला तो छत से गई टीम
पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों ने बाहर से काफी आवाजें दी और गेट खोलने को कहा। करीब एक घंटे बाद भी गेट नहीं खुला तो पुलिसकर्मी पड़ोस के मकान की छत पर गए और छज्जा कूद अंदर घुसे। जहां अस्पताल संचालक, एक महिला नर्स और एक सहायक छिपे हुए थे। पुलिस ने तीनों को बाहर निकाला और बेवजह परेशान करने के कारण संचालक को अस्पताल के बाहर ही मुर्गा बना सजा दी गई।

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