हरियाणा: हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय (HAU) अब शराब फैक्ट्रियों की फ्लाई ऐश और स्पेंट वाश से अब फास्फोटिक फर्टिलाइजर तैयार करेगा। HAU ने इसके लिए USA स्थित विश्व के एकमात्र उर्वरक शोध संस्थान इंटरनेशल फर्टिलाइजर डेवलपमेंट सेंटर के साथ एमओयू साइन किया है। प्रोजेक्ट को स्थापित करने के लिए शुगरफेड हरियाणा प्रथम वर्ष HAU, IFDC और कृषि एवं किसान कल्याण विभाग को 7.5 करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान करेगा।
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर बीआर काम्बोज ने बताया कि डिस्टिलरी से निकलने वाली फ्लाई ऐश और स्पेंट वाश का निस्तारण मौजूदा समय में एक बड़ी समस्या है। इनका फास्फोटिक फर्टिलाइजर बनाना वेस्ट टू वेल्थ की सोच को सार्थक करने की दिशा में एक अहम कदम है। यूएसए स्थित इंटरनेशल फर्टिलाइजर डेवलपमेंट सेंटर के कंट्री हेड डॉ. यशपाल सहरावत के अनुसार वर्तमान समय में पोटेशियम फर्टिलाइजर के 50 किलो के एक बैग की कीमत करीब 750 रुपये तक आंकी गई है। उसी बैग का विकल्प फास्फोटिक फर्टिलाइजर मात्र 180 रूपये में उपलब्ध हो सकेगा। राज्य में सालाना लगभग 14000 टन पोटाश और 7000 टन फास्फोरस यानी लगभग 15 प्रतिशत पोटाश उर्वरक और 2 प्रतिशत फास्फोरस उर्वरक का उत्पादन राज्य कर सकता है।
सहरावत के अनुसार राज्य सालाना लगभग 55 करोड़ रुपये और 27 करोड़ रुपये मूल्य के पोटाश और फास्फोरस उर्वरक का उत्पादन करेगा। इससे केंद्र सरकार के सब्सिडी बोझ को सालाना 30 करोड़ रुपये से अधिक कम कर सकता है। नवीन तकनीक से भारत सालाना 7000 करोड़ रुपये की उर्वरक का उत्पादन कर सकता है।
राज्य में 68 प्रतिशत बढ़ा है खाद का प्रयोग:
एक अनुमान के मुताबिक हरियाणा राज्य ने पिछले छह दशकों में अपने अकार्बनिक उर्वरक उपयोग में 68 गुना वृद्धि की है। राष्ट्रीय स्तर पर वृद्धि केवल 12 गुना है। मृदा स्वास्थ्य को लेकर तैयार रिपोर्ट कार्ड पोर्टल के अनुसार राज्य में 90 प्रतिशत से अधिक मिट्टी में नाइट्रोजन, 56 प्रतिशत फास्फोरस और 50 प्रतिशत से अधिक पोटाश की कमी है। 2012 से राज्य में पोटेशियम की कमी 2.5 प्रतिशत बढ़ गई है।