Chhath Puja 2024: समृद्धि, पुत्र प्राप्ति व मंगलकामना के लिए मनाए जाना वाले छठ पर गुरूवार को ब्रतधारियो ने डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया गया। वही शुक्रवार को सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देकर आस्था के महापर्व का समापन किया जाएगा। छठ मैया की भजनों पर माहौल भक्तिमय बना रहा।
मान्यता है कि छठ पर्व में विधि विधान से पूजा करने और अर्घ्य देने से ही ब्रतधारी को पूर्ण शुभ फल प्राप्त होता है। इस ब्रत के में छठ पर्व के चलते सूर्यनारायण को अर्घ्य देने के लिए बांस या पीतल से बने हुए सूप का इस्तेमाल किया जाता है।Chhath Puja 2024
इतना ही नहीं इस सूप में फल और दीपक व कपडे भी रखे जाते है। इसके बाद व्रती को घाट में खड़े होकर सूर्य की तरफ देखते हुए इस तरह से अर्घ्य दिया जाता है।Chhath Puja 2024
सूर्य पत्नी प्रत्यूषा का भी मिलता है आशीर्वाद : बता कि आस्था के इस पर्व को लेकर हर साल ब्रतधारको की संख्या बढती जा रही है। पूर्णाचल, यूपी व बिहार के अलावा अब यह पर्व हरियाणा राजस्थान में मनाया जाने लगा है। मान्यता के चलते छठ पर्व में अर्घ्य का विशेष महत्व है। सूर्य का संबंध स्वास्थ्य, पिता और आत्मा से होता है।Chhath Puja 2024
बताते है सूर्य की आराधना करने और अर्घ्य देने से बड़े से बड़े कष्ट भी दूर हो जाते है, जीवन में संपन्नता आती है। बताया जा रहा है कि डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देने से सूर्य के साथ उनकी पत्नी प्रत्यूषा का भी आशीर्वाद मिलता है क्योंकि डूबते हुए सूर्य की किरणों में उनकी पत्नी प्रत्युषा होती है।
संतोष कालोनी पहुंचे रेवाड़ी के विधायक: छठ पर्व के चलते रेवाड़ी के विधायक लक्ष्मण यादव, नपा चेयरमैन कंवर सिंह यादव संतोष कालोनी मे छठ पर्व के चलते ब्रत धारियो को शुभ कामनाएं देते पहुंची। विधायक ने कहा कि आस्था का पर्व में हमारे यहां पर पूरा सहयोग पूर्वाचंलों को दिया जा रहा है तथा आगे भी दिया जाएगा। बडा गर्व ही पूर्णाचल के लोग आजकल अपने गांव नहीं जाकर यही पर पर्व मानते है।
छठ पूजा का तीसरे दिन का क्या है महत्व
बता दे कि नहाय खाय व खरने करने के बाद तीसरे दिन महिलाएं पूरे दिन निर्जला व्रत रखती हैं और भगवान सूर्य और छठी मैया की पूजा करती हैं। तीसरे दिन भक्त संध्या पूजा करने के लिए पास के कृत्रिम घाटों में अपने शरीर और मन को शुद्ध करने के लिए पवित्र स्नान करते हैं तथा सर्य को अध्र्य देते है।Chhath Puja 2024