हरियाणा: इंदिरा गांधी विश्वविद्यालय मीरपुर के गैर शिक्षण कर्मचारी संघ ने सरकार के ग्रांट नहीं देने के फैसले के खिलाफ काफी रोष जताया है. इसी के चलते बुध्वार को ऑल हरियाणा यूनिवर्सिटी एम्प्लॉइज फेडरेशन के आह्वान पर संघ की कलम छोड़ हड़ताल होगी.Rewari: जडथल मे महिला ने लगाई फांसी, दहेज हत्या का मामला दर्ज
सालाना 23 करोड़ रुपए तो वेतन में ही चले जाते हैं, हर साल इसमें भी 1 करोड़ बढ़ रहे सरकार की ओर से 29 मई को सभी विश्वविद्यालयों को एक पत्र जारी किया गया था. इसमें कहा कि सभी स्टेट यूनिवर्सिटी अब आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ें तथा धन के लिए सरकार पर निर्भरता कम करें. इसके लिए विश्वविद्यालय के पूर्व छात्रों, सीएसआर से धन जुटाएं.
अनुसंधान अनुदान, पेटेंट, विश्वविद्यालय की अप्रयुक्त भूमि का वाणिज्यिक उपयोग, ऑनलाइन शिक्षा और दूरस्थ शिक्षा, उद्योग-अकादमिक सहयोग को प्रोत्साहित करें और उद्यमिता को बढ़ावा देते हुए आमदनी करें.
नैक ग्रेड ही नहीं
सभी विश्वविद्यालयों के पास पूर्ण बुनियादी ढांचा और और पर्याप्त भूमि है. जबकि असल में आईजीयू के पास नैक ग्रेड न होने से अभी तक दूरस्थ शिक्षा भी शुरू नहीं हो पाई है. ग्रामीण आंचल में बनी यूनिवर्सिटी की जमीन पर कमर्सियल गतिविधि संभव नहीं है, जहां से अच्छा खासा राजस्व मिल सके.
चार वर्षों में कितनी ग्रांट पर एक नजर.
2020-21 में स्वीकृत ग्रांट 20 करोड़ रुपए थी, जिसमें से सिर्फ 6 करोड़ 60 लाख रुपए मिले।
2021-22 में 15 करोड़ की ग्रांट स्वीकृत हुई थी, इतनी ही जारी भी हुई।
2022-23 में 18 करोड़ की ग्रांट मिली, इतनी ही स्वीकृत थी।
2023-24 में अभी तक विश्वविद्यालय को सिर्फ 9 करोड़ रुपए मिल पाए हैं।
ग्रांट के अभाव मे अधूरे कार्य
एक दशक में सरकार ने यहां पर्याप्त क्षमता के हॉस्टल और ब्लॉक तक बनाकर नहीं दिए हैं. यदि अब ग्रांट जारी नहीं हुई तो वर्तमान में चल रहे ये प्रोजेक्ट भी कभी पूरे नहीं हो सकते. क्योंकि विश्वविद्यालय की आय का एकमात्र साधन विभिन्न मदों से आने वाली फीस ही है, जो कि सालाना 32 करोड़ रुपए तक है.NEET UG Result 2023: खत्म हुआ इंतजार, जारी हुए परीक्षा परिणाम, जानिए कैसे देखे रिजल्ट
जबकि स्टाफ के वेतन पर ही एक साल में 23 करोड़ रुपए खर्च हो रहे हैं. बचे हुए 9 करोड़ रुपए में तो #अन्य खर्चे वहन कर सुचारू रखना भी संभव नहीं है.
सरकारी ग्रांट की जरूरत : कुलपति
हमारी यूनिवर्सिटी में अभी प्रशासनिक ब्लॉक, हॉस्टल, स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स जैसे कई काम होने हैं। इसके लिए हमने 157 करोड़ की डिमांड भेजी हुई है। फैकल्टी का भी प्रस्ताव भेजा हुआ है। अभी स्वीकृति नहीं मिल पाई है।
– प्रो. जयप्रकाश यादव, वीवी, आईजीयू।