रेवाड़ी। सर्दी ने अपने तीखे तेवर दिखाने शुरू कर दिए हैं। सर्दी के चलते न्यूनतम तापमान के तेजी के साथ गिरावट आई है। इस सीजन का शनिवार सबसे ठंडा दिन रहा। इस दौरान न्यूनतम तापमान तीन डिग्री सेल्सियस पर पहुंच गया। मौसम विभाग के अनुसार आगामी दिनों में भी तापमान और तेजी के साथ गिरने की संभावना।
जिले में पिछले एक सप्ताह से न्यूनतम तापमान 5 डिग्री के आसपास बना हुआ है। तापमान में लगातार हो रही गिरावट के चलते सर्दी बढ़ने लगी है। जिले में शुक्रवार को अधिकतम तापमान 18.8 डिग्री सेल्सियस, न्यूनतम तापमान 6.0 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था। शनिवार को न्यूनतम गिरावट के साथ 3.0 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। वहीं अधिकतम तापमान 18.8 डिग्री दर्ज कर किया गया। शनिवार की सुबह कोहरा छाने के कारण वाहन सड़कों पर रेंगकर चलते दिखाई दिए। कुछ जगह तो दृश्यता 20 मीटर से भी कम रही, जिसकी वजह से वाहन चालकों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। कई इलाकों में तेज शीतलहर चलने के कारण कोहरा छंट भी गया।
मौसम विशेषज्ञों का पूर्वानुमान है कि पहाड़ों पर हो रही बर्फबारी की वजह से मैदानी इलाकों में भी सर्दी का असर बढ़ेगा। इस कड़ी में दिल्ली-एनसीआर में इस सप्ताह से ठिठुरन और बढ़ सकती है। जिले में न्यूनतम तापमान लुढ़कने के कारण पूरा दिन लोगों की कंपकंपी छूटी रही। दिनभर बादल छाए रहने के कारण बीच-बीच में धूप निकलने के बावजूद लोगों को ज्यादा राहत नहीं मिल पाई। शाम होते-होते सर्द हवाओं के कारण लोगों की ठिठुरन और बढ़ गई। लोगों ने खुद को ठंड से बचाने के लिए गर्म कपड़ों के साथ-साथ अलाव और हीटर का भी सहारा लिया।
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किसानों ने बताया ठीक:
कृषि विशेषज्ञों के अनुसार बढ़ी हुई ठंड रबी की फसलों के लिए फायदेमंद मानी जा रही है, विशेषकर गेहूं की फसल के लिए ज्यादा फायदेमंद है। मौसम में आए बदलाव के कारण किसान राहत महसूस कर रहे हैं। रात के तापमान में आई गिरावट के कारण ओस गिरने का सिलसिला जारी है। किसानों का कहना है इसी तरह डेढ़ माह तक कड़ाके की ठंड पड़ती रही, तो गेहूं की फसल की अच्छी पैदावार होगी।
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बच्चों-बुजुर्गों के लिए बना परेशानी
पिछले एक सप्ताह से लगातार तापमान में गिरावट होने के चलते सर्दी भी अपने तेवर दिखा रही है। चिकित्सक इस मौसम में बच्चों और बुजुर्गों को विशेष सावधानी रखने की सलाह दे रहे हैं। सुबह-शाम हो रही तेज सर्दी से बचाव के लिए जहां बुजुर्गों को शाम के समय घर से बाहर नहीं निकलने तथा बच्चों को पूरी बाजू के कपड़े पहनने की सलाह दी जा रही है।