रेवाडी / अलवर: सुनील चौहान। तीनों कृषि कानून सरकार ने वापस लेते ही खुशियों के बीच बॉर्डर पर मोदी हारा, किसान जीता के नारे गूंजने लगे। जिला प्रमुख बलवीर छिल्लर के साथ किसानों ने नेशनल हाईवे 48 पर ही नारेबाजी कर खुशी जाहिर की। यहां तीनों कृषि कानूनों के विरोध में शाहजहांपुर-हरियाणा बॉर्डर पर 11 माह 7 दिन से आंदोलन जारी था।
आंदोलनकारियों का कहना है कि किसानों की यही सबसे बड़ी मांग थी, जिस पर सरकार को पीछे हटना पड़ा। किसान नेताओं का कहना है कि इस आंदोलन में शहीद हुए किसानों को कैसे भूल सकते हैं? उनके परिवारों की खातिर संयुक्त किसान मोर्चा चर्चा करेगा। उसके आधार पर आगे निर्णय किया जाएगा। शाम करीब 4 बजे तक शाहजहांपुर बॉर्डर पर किसान मोर्चा के पदाधिकारी और मौजूदा किसान चर्चा करेंगे। इसके अलावा संयुक्त किसान मोर्चा के जरिए भी आगे की गाइडलाइन मिलेगी।
किसान नेताओं का कहना है कि उनकी सबसे बड़ी मांग यही थी, जो पूरी हो गई। इस कारण अब बॉर्डर से तो हटना ही है। अलवर के शाहजहांपुर-हरियाणा बॉर्डर पर 12 दिसंबर 2020 से किसानों का आंदोलन जारी है। जो नेशनल हाईवे 48 पर टैंट और तंबू लगाकर आंदोलनरत हैं। आगे हरियाणा सरकार ने बैरिकेडिंग कर किसानों को दिल्ली जाने से रोक दिया था। इस कारण किसानों ने हाईवे पर ही डेरा डाल लिया था। कानून वापस होने की सूचना मिलते ही संगठनों के पदाधिकारी आंदोलन स्थल पर पहुंचने शुरू हो गए। संयुक्त किसान यूनियन के प्रदेशाध्यक्ष रामराम मील ने कहा कि वे जयपुर से बॉर्डर पर लौट रहे हैं। दोपहर करीब 2 बजे तक वहां पहुंचेंगे। इसके बाद चर्चा कर आगे का निर्णय किया जाएगा।
पीएम मोदी के घुटने किसानों ने टिकाए:
संयुक्त किसान यूनियन के प्रदेशाध्यक्ष राजाराम मील ने कहा कि मोदी के घुटने टिकाने वाले किसान हैं। वरना प्रधानमंत्री किसी की मानते नहीं हैं। तीनों कृषि कानून वापस लेने से किसानों में खुशी है। संयुक्त किसान मोर्चा जल्दी दिल्ली में बैठक कर आगे का निर्णय करेगा।
शहीदों को याद करना जरूरी
किसान यूनियन के प्रदेशाध्यक्ष व अलवर जिला प्रमुख बलवीर सिंह छिल्लर ने कहा कि केंद्र सरकार ने तीनों कृषि कानून वापस ले लिए हैं। किसानों की प्रमुख और बड़ी मांग यही थी, लेकिन इस आंदोलन में जो किसान शहीद हो गए उनके परिवारों को लेकर संयुक्त किसान मोर्चा के स्तर पर विचार होगा, जिन्होंने बलिदान दिया है, उनके परिवारों के बारे में भी सोचना जरूरी है।