एक साल 14 दिन के बाद किसान आंदोलन समाप्त, कहा: किसानो की हुई जीत, देर रात मनाया जशन

हरियाणा: एक साल 14 दिन तक चले अब तक के सबसे बड़े आंदोलन में शुमार किसान आंदोलन गुरुवार को समाप्त हो गया। दिल्ली की सीमा पर चल रहे आंदोलन को खत्म करने का ऐलान संयुक्त किसान मोर्चा की तरफ से होते ही टीकरी और सिंघु बॉर्डर पर जश्न शुरू हो गया है। दोनों ही बॉर्डर पर किसान खुशी में जमकर डांस कर रहे है। वहीं दूसरी तरफ सिंघु और टीकरी बॉर्डर पर किसानों ने टेंट और झोपड़ी सड़क से उखाड़कर सामान समेटना शुरू कर दिया है। किसान अपना सामान ट्रैक्टर और अन्य वाहनों में लाद रहे हैं, ताकि शुक्रवार सुबह से घर वापसी की जा सके।

 

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खास बात यह है कि घर रवानगी से पहले टिकरी बॉर्डर आंदोलन स्थल पर हेलिकॉप्टर से फूल बरसाए जाएंगे। दिल्ली सीमा पर हाईवे को पूरी तरह साफ होने में अभी 4 से 5 दिन का समय लग सकता है। 15 किमी तक किसानों के टेंट और झोपड़ियां बनी हुई हैं। इनमें बहुत सी पक्की झोपड़ियां भी शामिल हैं।

सिंघु बॉर्डर पर किसानों में जीत की खुशी बनी हुई है। पहले से ज्यादा भीड़ जमा है। किसानों ने खुशी-खुशी वापसी के लिए तैयारी शुरू कर दी। किसानों ने आज ही अपने साधन और साथियों को बुला लिया है। जो जीत का जश्न मना रहे हैं। इनमें से कुछ अपने तंबुओं को समेटने में लग गए हैं। वहीं टीकरी बॉर्डर पर रोजाना होने वाली सभा गुरुवार को आखिरी होगी। शुक्रवार सुबह से किसान घरों की तरफ रवानगी कर देंगे। खासकर पंजाब के किसानों ने अपना सामान पैक कर लिया है।

सिंघु और टीकरी बॉर्डर पर किसानों ने टेंट और झोपड़ी सड़क से उखाड़कर सामान समेटना शुरू कर दिया है।
सिंघु और टीकरी बॉर्डर पर किसानों ने टेंट और झोपड़ी सड़क से उखाड़कर सामान समेटना शुरू कर दिया है।
बता दें कि 3 नए कृषि कानूनों की वापसी सहित कुछ अन्य मांगों को लेकर पिछले साल 26 नवंबर को सिंघु, गाजीपुर और टिकरी बॉर्डर पर किसानों का आंदोलन शुरु हुआ था। एक साल से भी ज्यादा समय तक चले इस आंदोलन में किसानों ने एक तरह से बॉर्डर ही अपने घर बसा लिए थे।

तमाम सुविधाओं से लैस झोपड़ी और टेंटों में रहकर किसानों ने लंबा संघर्ष किया और अब कृषि कानूनों की वापसी होने के साथ ही किसानों की अन्य मांगों पर संयुक्त किसान मोर्चा और सरकार के बीच सहमति बन चुकी है। किसानों की तरफ से संयुक्त किसान मोर्चा के घर वापसी करने की घोषणा का इंतजार किया जा रहा है।

एक साथ घर वापसी संभव नहीं

किसानों की तरफ से सामान समेटना शुरु किया गया है। हालांकि अभी किसानों की एक साथ घर वापसी संभव नहीं है, क्योंकि पक्‍के तंबू और टेंटों को हटाने में अभी 4 से 5 दिन का समय लग सकता है। गुरुवार को बहादुरगढ़ के श्रीराम शर्मा मेट्रो स्टेशन के नीचे किसानों ने अपने टेंट और झोपड़ी हटानी शुरु कर दी है। इसके अलावा भी कुछ अन्य जगह किसान झोपड़ी और टेंट हटाकर सामान ट्रैक्टर में डाल रहे हैं।

दूसरी तरफ महिलाओं की संख्‍या बॉर्डर पर बहुत कम हो गई है। रोजाना होने वाली सभा और मंच गुरुवार को तो सजा, लेकिन शुक्रवार को बॉर्डर पर सभा नहीं होगी। किसानों का कहना है कि कृषि कानूनों की वापसी के बाद एमएसपी पर कमेटी बनाने और एक साल में दर्ज हुए मुकदमों पर लिखित आश्वासन पर सहमति बन गई है। हालांकि संगीन धाराओं में दर्ज मुकदमों का पेंच अभी भी फंसा हुआ है।

35 किसान ग्रुप पैक कर रहे हैं सामान:

सिंघु बॉर्डर पर करीब 3 दर्जन किसान ग्रुपों ने अपने सामान को पैक करना शुरू कर दिया है। जो आज ही जाने की तैयारी कर रहे हैं। ये किसान यहां पर शाम तक के जश्न में शामिल रहेंगे। इनमें 8 हरियाणा और 28 के करीब पंजाब के लोग शामिल हैं।

हेलिकॉप्टर से बरसाएंगे फूल:
किसानों ने बताया कि घर वापसी से पहले हेलिकॉप्टर से टिकरी बॉर्डर स्थित आंदोलन स्‍थल पर फूल बरसाए जाएंगे। घर जाने में किसी प्रकार की परेशानी न हो इसके लिए एंबुलेंस की व्‍यवस्‍था भी गई है, जो किसानों के जत्थे के साथ-साथ चलेगी। आज टिकरी बॉर्डर पर आखिरी सभा हो रही है, कल से सभा भी बंद हो जाएगी। इतना ही नहीं पंजाब के किसान बोहा मंडी में रुकेंगे, फिर यहां से अपने-अपने जिलों में पहुंचेंगे।

देर रात किसानों ने मनाया जश्न:
बुधवार रात संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक में सहमति बनने के बाद किसानों को भी पता चल गया है कि किसी समय घर वापसी का ऐलान हो सकता है। यही कारण है कि बैठक के तुरंत बाद देर रात टिकरी बॉर्डर पर किसानों ने जश्न मनाया। काफी किसान ऐसे हैं, जो एक साल में एक बार भी घर नहीं गए। ऐसे किसानों का फूल-मालाओं से सम्मान किया गया।

इतना ही नहीं किसान एकता के नारे लगाते हुए जमकर डांस भी किया। आंदोलनकारियों का कहना है कि यह उनकी बहुत बड़ी जीत है। जो संकल्प लेकर घर से निकले थे वो अब पूरा हो गया है। यह किसानों की ताकत ही है कि सरकार को उनके आगे झुकना पड़ा।

बॉर्डर खुलने से मिलेगी राहत: एक साल से टिकरी बॉर्डर बंद होने से स्थानीय लोग ही नहीं, बल्कि बहादुरगढ़ औद्योगिक क्षेत्र को भी काफी नुकसान झेलना पड़ा। रास्तों को खुलवाने के लिए उद्योगपतियों को मानव अधिकार आयोग से लेकर कोर्ट तक का दरवाजा खटखटाना पड़ा, लेकिन अब आंदोलन खत्म हो रहा है।

ऐसे में स्थानीय लोगों के साथ-साथ औद्योगपतियों को भी फिर से काम पटरी पर लौटने की उम्मीद है। हालांकि पूरी तरह रास्ता साफ होने में अभी कुछ दिन और लग सकते हैं। किसानों की तरफ से कहा गया है कि वह सड़क को पूरी तरह साफ करके ही घर लौटेंगे।

गांव रुड़की जिला जालंधर निवासी सुरेंद्र सिंह ने बताया कि गुरनाम चढ़ूनी ने बताया कि हमारी मांगें मानने के बाद मोर्चा खत्म किया गया है। जरूरत पड़ी तो दोबारा से शुरू करेंगे। पिछले एक साल से यहां पर 8-8 बंदे रहकर चला रहे थे। आज बच्चों और अन्य साथियों को बुलाया है। वो अपने सामान समेट रहे हैं। आज पूरा पैक हो जाएगा। कल जाएंगे या आज सभी साथी फैसला लेंगे।