Dharuhera : 300 घरोंं का रास्ता बंद ?
Dharuhera : औद्योगिक कस्बे में करीब 300 घरों बस्ती बसी हुई है। उनकी निकासी के लिए सरकारी रास्ता दिया हुआ है। कालोनी के के पास ही एक कंपनी स्थापित की गई है। जिसको एचएसवीपी की ओर से जमीन दी गई है। फिलहाल रास्तो की जमीन कंपनी में चली गई है।
आसान नहीं है ये डगर: 300 लोग अब घरों केद हो गई। एचएसवीपी के अधिकारियो की लापरवाही से गलत पैमाईस के चलते सरकारी रास्ते पर कंपनी बाउंड्री में चली गई हैै। कंपनी को इस बात का पता है लेकिन प्रबधन का कहना है हमें जमीन एचएसवीपी ने दी है।
कई महीनों से विवादों में रहे(Rewari ) जंगलीराम की ढाणी के सरकारी रास्ते का खुलासा हो गया है। रास्ता किसान ने नहीं बल्कि कंपनी की ओर से दबाया हुआ है। यह खुलासा मंगलवार को पंयायत सचिव मामन की अगुवाई में हुई पैमाईस में हुआ।
बता दे कि किसान ने पैमाईस के आधार व कोर्ट केस के बाद 21 जून को रास्तोंं को बंद कर दिया। उसके बदं करते ही काफी विवाद हुआ। पुलिस प्रशसन व बीडीपीओ से यह तय हुआ था कि 25 जून को बीडीपीओ की अगुवाई में दोबारा से पेमाईस होगी।
हुआ खुलासा: मंगलवार को बीडीपीओ विभाग की ओर से गिरदावर, ग्राम सचिव व सरंपच की देखरेख में मंगलवार को पैमाईस करवाई गई। पेमाईस के चलते सरकारी रास्ता कंपनी के अंदर से आ रहा है। कंपनी की ओर से चार दीवार की गई है।
किसान की दरियादली: किसान ने कई बार लोगों से कहा कि वह पैमाईस करवा चुका है। उनकी जमीम मैने नहीं दबाई है। जमीन कपंनी की चार दीवारी के अंदर चली गई हैं जोकि गलत पैमाईस का नतीजा है। किसान ने कालोनी वालो को कहा था कि वे खेत के बीचोंं बीच रास्ता न बनाए। उनके आने जाने के लिए व स्वेच्छा से अपनी जमीन से दूसरे स्थान से रास्ता देने के लिए तैयार है।
लेकिन जंगली की ढाणी के लोग बार बार यहीं कहते रहे कि रास्ता खेत के बीच है। आज पैमाईस के बाद लोगो की नींद उड गई। कंपनी रास्ता देनी वाली नहीं है। कोर्ट मे पता नहीं अब कितने साल से ये केस चलेगा। वह स्वयं भी पैमाइस को लेकर पिछले 7 साल से केस लड रहा है।
रास्ता दिलाने की मांग: करीब 300 घरों की बस्ती ने पंचायत से आवागमन के लिए रास्ता दिलाने की मांग की है ताकि लोगो को कोई परेशानी नही उठानी पडें
अजुर्न सिंह, जंगलीराम की ढाणी
पैमाईस के चलते जो सरकारी रास्ता है उस जमीन पर एक नीजि कंपनी ने कब्जा किया हुआ है। मंगलवार को पैमाईस करने के बाद जब प्रबंधन को जमीन के लिए नोटिस दिया तो उन्होंने लेने से मना कर दिया।
मामन, ग्राम सचिव
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गांव में बैठक करके कोई अस्थाई समाधान किया जाएगा। लोगो के आवागनम के लिए कोई रास्ता ही नहीं है। कंपनी को कोर्ट से नोटिस दिया जाएगा ताकि जमीन ली जा सके।
लेखीराम, सरपंच खटावली