Delhi: देश की राजधानी दिल्ली में ट्रैफिक जाम की समस्या को खत्म करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा एक बड़ी परियोजना लगभग पूरी कर ली गई है। केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी के नेतृत्व में 8,000 करोड़ रुपये की लागत से बन रहा अर्बन एक्सटेंशन रोड-II (UER-II) अब अपने अंतिम चरण में है। 75.71 किलोमीटर लंबा यह एक्सप्रेसवे राजधानी के उत्तरी हिस्से को दक्षिण-पश्चिम दिल्ली और एनएच-48 से सीधे जोड़ता है। इस पर बनी दोनों टनल में 24 घंटे का ट्रायल रन शुरू हो चुका है, जिससे इसके उद्घाटन की तैयारियों को बल मिल रहा है।
जानकारी के अनुसार, इस आधुनिक एक्सप्रेसवे का उद्घाटन अगस्त 2025 में किया जाएगा। यह अलीपुर से शुरू होकर रोहिणी, मुंडका, नजफगढ़, द्वारका होते हुए महिपालपुर तक पहुंचेगा और यहां से द्वारका एक्सप्रेसवे के जरिये दिल्ली-गुरुग्राम एनएच-48 से जुड़ेगा। इस एक्सप्रेसवे से न केवल दिल्ली के भीतर यातायात सुगम होगा, बल्कि हरियाणा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर जैसे राज्यों के यात्रियों को भी बेहतर सुविधा मिलेगी।
UER-II की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसके माध्यम से हरियाणा के पांच प्रमुख हाईवे सीधे जुड़ जाएंगे। इनमें अलीपुर के पास एनएच-44, सोनीपत के बड़वासनी से एनएच-344पी, बहादुरगढ़ बाइपास से एनएच-9, दिल्ली-गुरुग्राम एनएच-48 और द्वारका एक्सप्रेसवे शामिल हैं। इस कनेक्टिविटी से इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे तक पहुंचना अब पहले से कहीं अधिक आसान और तेज हो जाएगा। उदाहरण के तौर पर अलीपुर से आईजीआई एयरपोर्ट की दूरी अब 1.5 घंटे के बजाय केवल 25 मिनट में तय की जा सकेगी, जबकि गुरुग्राम से एयरपोर्ट का सफर भी एक घंटे से घटकर 20 मिनट रह जाएगा।
एक्सप्रेसवे पर वाहनों की गति सीमा भी निर्धारित की गई है—कारों के लिए 80 किमी प्रति घंटा और भारी वाहनों के लिए 60 किमी प्रति घंटा। यूईआर-II का 38 किलोमीटर हिस्सा अलीपुर से महिपालपुर तक फैला हुआ है, जिसे द्वारका एक्सप्रेसवे से जोड़ा गया है। उल्लेखनीय है कि द्वारका एक्सप्रेसवे का उद्घाटन 11 मार्च 2024 को किया जा चुका है।
हरियाणा की ओर से एक्सप्रेसवे को जोड़ने के लिए दो विशेष रोड बनाए गए हैं—एक 29.60 किमी लंबा एनएच-344पी जो बवाना से सोनीपत के बड़वासनी बाइपास तक जाएगा, और दूसरा 7.2 किमी लंबा मार्ग दिचाऊं कलां से बहादुरगढ़ बाइपास तक। यह परियोजना दिल्ली और आसपास के राज्यों के लाखों यात्रियों को राहत देने के साथ-साथ औद्योगिक और व्यापारिक गतिविधियों को भी गति देने में मददगार साबित होगी।















