Holika Dahan 2024: देशभर में आज रविवार को होली पर्व मनाया जाएगा। सोमवार को धुलंडी यानि रंगो की होली है। सनातन धर्म में हर व्रत और त्योहार का विशेष महत्व बताया गया है। पूजा तो सभी करते है लेकिन हर पर्व को लेकर समय ओर विधि विधान को जानना जरूरी है।
होलिका दहन विधि (Holika Dahan Vidhi 2024)
होलिका दहन का तैयारी कई दिनों पहले से होने लगती है। होलिका दहन वाले स्थान पर लकड़ियां, उपले और अन्य जलाने वाली चीजों को एकत्रित किया जाता है। इसके बाद होलिका दहन के शुभ मुहूर्त पर विधिवत रूप से पूजन करते हुए होलिका में आग लगाई जाती है। होलिका की परिक्रमा करते हुए पूजा सामग्री को होलिका में डाला जाता है।
होलिका दहन का शुभ मुहूर्त (Holika Dahan Shubh Muhurt 2024)
हिंदू पंचांग के अनुसार, आज होलिका दहन के लिए लोगों के पास केवल 1 घंटा 20 मिनट का समय रहेगा। आज के दिन भद्रा की पूंछ शाम 06:33 बजे से शाम 07:53 बजे तक है, वहीं भद्रा का मुख शाम 07:53 बजे से रात 10:06 बजे तक है। होलिका दहन का शुभ मुहूर्त 24 मार्च को रात 11:13 बजे से रात 12:27 बजे तक रहेगा।
भद्रा में नहीं होते शुभ कार्य (Holika Dahan Kaam 2024)
पुराणों के अनुसार भद्रा सूर्य की पुत्री और शनि देव की बहन है। भद्रा क्रोधी स्वभाव की मानी गई हैं। मान्यता है कि भद्रा तीनों लोक में भ्रमण करती हैं, जब मृत्यु लोक में होती हैं, तो अनिष्ट करती हैं। भद्रा योग कर्क, सिंह, कुंभ व मीन राशि में चंद्रमा के विचरण पर भद्रा विष्टिकरण का योग होता है. भद्रा काल में किसी भी प्रकार के मांगलिक कार्य नहीं किए जाते है।
Holika Dahan 2024 LIVE: राशि अनुसार दहन में डालें ये चीजें
मेष राशि – गुड़ की आहुति दें.
कन्या राशि – कपूर की आहुति दें.
तुला राशि – सफेद तिल की आहुति दें.
वृश्चिक राशि – नारियल की आहुति दें.
धनु राशि – जौ और चना की आहुति दें.
वृषभ राशि – चीनी की आहुति दें.
मिथुन राशि- कपूर की आहुति दें.
कर्क राशि – लोहबान की आहुति दें.
सिंह राशि – गेहूं की आहुति दें.
मकर राशि – काले तिल की आहुति दें
कुंभ राशि – काली सरसों की आहुति दें
मीन राशि – चना की आहुति दें.
होली की पौराणिक कथा (Holi Pauranik Katha)
भक्त प्रह्लाद का जन्म राक्षस परिवार में हुआ था पर वे भगवान विष्णु के बड़े भक्त थे। उनके पिता हिरण्यकश्यप को उनकी ईश्वर भक्ति अच्छी नहीं लगती थी इसलिए हिरण्यकश्यप ने प्रह्लाद को अनेकों प्रकार के कष्ट दिए। हिरण्यकश्यप ने कई बार भक्त प्रह्राल को मारने की कोशिश की लेकिन हर बार नकामी ही मिली।
होलिका को आग में न जलने का वरदान प्राप्त था। उनकी बुआ होलिका जिसको ऐसा वस्त्र वरदान में मिला हुआ था जिसको पहनकर आग में बैठने से उसे आग नहीं जला सकती थी। होलिका भक्त प्रह्लाद को मारने के लिए वह वस्त्र पहनकर उन्हें गोद में लेकर आग में बैठ गई। भक्त प्रह्लाद की विष्णु भक्ति के फलस्वरूप होलिका जल गई लेकिन भक्त प्रह्लाद को कुछ नहीं हुआ। उसी के बाद से ही हर वर्ष होलिका दहन किया जाता है।