Mumbai: मुंबई की सड़कों पर चलने वाली ‘काली-पीली टैक्सी’ आज सोमवार से बंद हो गई है। 60 साल तक मुंबई की सेवा करने वाली काली पीली टैक्सी का रविवार को आखिरी दिन था। इन टैक्सियों को प्रीमियर पद्मिनी के नाम से भी जाना जाता है।कनेक्टिक इंडिया ने फिर किया धमाका, सिर्फ 22 रूपए में रिचार्ज की किया बाय बाय
मुंबई का नाम सुनते ही लोगों के मन में मुंबई की एक तस्वीर बन जाती है, जिसमें बड़ा पाव, मरीन ड्राइव और काली पीली टैक्सी का प्रतिबिंब बनना आम बात है। हालांकि अफसोस कल से काली-पीली टैक्सी मुंबई की सड़कों पर नहीं दिखाई देंगी। परिवहन विभाग ने 30 अक्टूबर से काली-पीली टैक्सी (प्रीमियर पद्मिनी) को सड़कों पर चलने पर रोक लगा दिया है। जानकारी के लिए बता दें, फिलहाल मुंबई में एक आखिरी काली-पीली टैक्सी बची है।
बाय-बाय ‘काली पीली’ टैक्सी, इस आइकॉनिक गाड़ी का मुंबई की सड़कों पर आज आखिरी दिन
परिवहन विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि पिछली प्रीमियर पद्मिनी को तारदेओ आरटीओ में एक काली-पीली टैक्सी के रूप में पंजीकृत किया गया था जिसका अधिकार क्षेत्र मुंबई शहर पर है। चूंकि शहर में कैब की आयु सीमा 20 वर्ष है इसलिए मुंबई में आधिकारिक तौर पर सोमवार से प्रीमियर पद्मिनी टैक्सी नहीं चलेंगी। आइये डिटेल में जानते हैं।
जानिए क्ये बदला नाम
परिवहन विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि पिछली प्रीमियर पद्मिनी को तारदेओ आरटीओ में एक काली-पीली टैक्सी के रूप में पंजीकृत किया गया था, जिसका अधिकार क्षेत्र मुंबई शहर पर है। चूंकि शहर में कैब की आयु सीमा 20 वर्ष है, इसलिए मुंबई में आधिकारिक तौर पर सोमवार से प्रीमियर पद्मिनी टैक्सी नहीं चलेंगी।
जानिए कहां से हुआ पद्मनी टैक्सी का सफर
मुंबई टैक्सीमैन यूनियन (MTU) के महासचिव एएल क्वाड्रोस ने बताया कि मुंबई में टैक्सी के रूप में प्रीमियर पद्मिनी की यात्रा 1964 में ‘फिएट-1100 डिलाइट’ मॉडल के साथ शुरू हुई, जिसमें एक शक्तिशाली 1200-CC इंजन था।
उन्होंने बताया कि 1970 के दशक में मॉडल को प्रीमियर प्रेडिडेंट के नाम से जाना जाता था, लेकिन बाद में भारतीय महारानी पद्मिनी के नाम पर इसका नाम पद्मिनी रखा गया। उन्होंने बताया कि इसके बाद टैक्सी के नाम में कोई बदलाव नहीं हुआ।Success Story: किसान की बेटी बनी ‘OFFICER’, पिता के आंखों में आ गए आंसू
संग्राहलय में रखने की मांग
मंबई को लोगो ने मुंबई की शान कहे जाने वाली काली-पीली टैक्सी को सैंपल को संग्राहलय में रखने की मांग की है। हांलाकि परिवहन विभाग की ओर से इसके लेकर कोई ब्यान नहीं दिया गया है।
कुछ साल पहले शहर के सबसे बड़े टैक्सी चालक संघ MTU ने भी सरकार से कम से कम एक काली-पीली टैक्सी को संरक्षित करने के लिए याचिका दायर की थी, लेकिन इसमें उसे कोई सफलता नहीं मिली।
कैसे मुंबई की पहचान से जुड़ीं काली-पीली टैक्सियां?
6 दशकों से यहां आने वाले यात्रियों के लिए काली-पीली टैक्सियां मुंबई की सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा थीं।
‘टैक्सी नंबर 9211’, ‘खाली-पीली’ और ‘आ अब लौट चले’ जैसी बॉलीवुड फिल्मों में भी ये काली-पीली टैक्सियां दिखाई दीं और शहर की पहचान से जुड़ गईं।
पुरानी टैक्सी के शौकीन डैनियल सिकेरा ने कहा कि ये मजबूत टैक्सी दशकों शहर के परिदृश्य का हिस्सा रही और पिछली कई पीढ़ियों का इनसे भावनात्मक जुड़ाव रहा, लेकिन अब ये यादों में ही जिंदा रहेंगी।