Haryana News: हरियाणा के कैथल के गांव पोलड़ को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने खाली करने के आदेश जारी कर दिए हैं. पिछले सप्ताह गांव के करीब 206 घरों को पुरातत्व विभाग ने गांव खाली करने का नोटिस जारी कर दिया.
भारत-पाकिस्तान विभाजन के समय बसा था गांव
ग्रामीण बीरबल ने बताया कि उनके पूर्वज भारत पाकिस्तान के विभाजन के बाद पाकिस्तान से आकर यहां पर बसे थे. उनकी कई पीढ़ियां यहां पर रहती आ रही है, लेकिन अब गांव को नोटिस मिलने के बाद हर कोई डर के माहौल में जीने को मजबूर है. बच्चों से लेकर बुजुर्ग हर कोई घर छोड़ने की बात को लेकर चिंतित है. उन्होंने बताया कि उनके पास जमीन का मालिकाना हक नहीं है लेकिन वे साल 1947 से यहां रहते आ रहे हैं.
गांव के घर खाली करने का नोटिस
ग्रामीण शशिपाल ने बताया कि पुरातत्व विभाग उनके गांव में अपनी जमीन होने का दावा कर रहा है. उनके गांव में 78 एकड़ जमीन पुरातत्व विभाग की बताई जा रही है, जिस पर पूरा गांव बसा हुआ है. हालांकि अभी तक केवल कुछ परिवार को ही नोटिस मिला है, लेकिन पूरे गांव को ही खाली करने के आदेश दिए गए हैं.
पुरातत्व विभाग के द्वारा 2005 से उनके पास नोटिस भेजे जा रहे हैं कि ये पुरातत्व विभाग की जमीन है, लेकिन मामला कोर्ट में विचाराधीन था. वहीं जानकारी के अनुसार 2018 से ग्रामीणों ने जो कोर्ट में केस किया था, वहां पर वकील ने उनका पक्ष नहीं रखा और अब पुरातत्व विभाग उन्हें घर खाली करने का नोटिस भेज रहा है.
रावण के दादा के नाम से मशहूर है गांव
गांव वालों का कहना है कि ये उनका एक ऐतिहासिक गांव है, जिसका धार्मिक दृष्टि से विशेष महत्व है. यहां पर रावण के दादा पुलस्त्य मुनि की तपोस्थली रही है और उन्हीं के नाम पर गांव का नाम पोलड़ पड़ा था. ये एक धार्मिक और ऐतिहासिक गांव है, जिसका इतिहास काफी पुराना बताया जाता है.
सरस्वती के तट पर बसा है गांव
ये गांव सरस्वती नदी के तट पर बसा हुआ है. गांव में सरस्वती माता का मंदिर भी बना हुआ है, जिसका निर्माण 1960 में किया गया था. सरस्वती बोर्ड के द्वारा सरस्वती नदी पर कंस्ट्रक्शन का काम किया जा रहा है. यहां पर प्राचीन समय में सरस्वती नदी के तट पर मेले का भी आयोजन किया जाता था, जहां पर आसपास से लोग मेले में आते थे.
गांव में करीब 2000 वोट
ग्रामीणों का कहना है कि जब गांव की अपनी खुद की जमीन नहीं है, लेकिन उसके बावजूद भी यहां पर गांव बसा हुआ है जहां पर 2000 के करीब वोट है और करीब 8000 आबादी यहां पर रह रही है. 78 एकड़ पुरातत्व की जमीन यहां पर बताई जाती है.
दो बार गांव की हो चुकी है खुदाई
ग्रामीणों का कहना है कि ये मामला पिछले कई सालों से चला आ रहा है. यहां पर पुरातत्व विभाग के द्वारा गांव की निशानदेही भी ली गई है. यहां पर पुरातत्व विभाग दो बार गांव की खुदाई करवा चुका है लेकिन उनको किसी भी प्रकार की कोई प्राचीन वस्तु ज़मीन से प्राप्त नहीं हुई है और इसी के चलते अब गांव को एक बार फिर से पुरातत्व विभाग के द्वारा खाली करने के आदेश दिए गए हैं.

















