Haryana सरकार ने राज्य में वीआईपी को दिए जाने वाले Guard of Honour को लेकर नया और कड़ा प्रोटोकॉल लागू कर दिया है। अब किस अधिकारी को, कब और किस रैंक के पुलिस बल के साथ गार्ड ऑफ ऑनर मिलेगा—यह सब कुछ स्पष्ट नियमों के तहत तय होगा। मुख्य सचिव अनूराग रस्तोगी द्वारा जारी अधिसूचना में बताया गया कि यह व्यवस्था पूरी तरह से मानकीकृत होगी, ताकि किसी भी तरह की अव्यवस्था या प्रोटोकॉल में गड़बड़ी की गुंजाइश न रहे। इन दिशा-निर्देशों का उद्देश्य प्रशासनिक गरिमा बनाए रखना और विशेष अवसरों पर सम्मान समारोह को अनुशासन के साथ पूरा करना है।
नई अधिसूचना के अनुसार, गार्ड ऑफ ऑनर पाने के अधिकारी दो श्रेणियों में विभाजित किए गए हैं। पहली श्रेणी में वे सभी उच्च पदस्थ व्यक्तित्व शामिल हैं जिन्हें भारत सरकार के प्रोटोकॉल के तहत सम्मान दिया जाता है। इनमें राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, रक्षा मंत्री, उप-मंत्री, विदेशी कूटनीतिक मिशनों के प्रमुख, विभिन्न देशों के राज्यप्रमुख या गवर्नर जनरल, प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री शामिल हैं। इस श्रेणी के सभी सम्मान केंद्र सरकार की गाइडलाइंस के अनुसार ही प्रदान किए जाएंगे। दूसरी श्रेणी में हरियाणा राज्य के वे प्रतिष्ठित अधिकारी और वीआईपी शामिल किए गए हैं जिन्हें विशेष परिस्थितियों में गार्ड ऑफ ऑनर मिलेगा। इसमें हरियाणा के राज्यपाल, मुख्यमंत्री, विधानसभा अध्यक्ष, पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश, कैबिनेट मंत्री, उपाध्यक्ष, राज्य मंत्री, जिला प्रशासनिक न्यायाधीश के रूप में हाई कोर्ट जज, मुख्य सचिव, गृह व राजस्व विभाग के प्रशासनिक सचिव, पुलिस महानिदेशक, डिविजनल कमिश्नर, रेंज के ADGP, IGP, पुलिस कमिश्नर, डीसी और एसपी तक शामिल हैं।
नई गाइडलाइंस में यह स्पष्ट कर दिया गया है कि किस वीआईपी को कैसा गार्ड ऑफ ऑनर दिया जाएगा और उसमें कितने पुलिसकर्मी शामिल होंगे। हरियाणा के राज्यपाल को कार्यालय ग्रहण करने, विधानसभा सत्र में अभिभाषण देने या अन्य विशेष अवसरों पर एक गजेटेड अधिकारी, दो नॉन-गजेटेड अधिकारी, चार हेड कॉन्स्टेबल, 100 कॉन्स्टेबल और पूरा बैंड दस्ता शामिल करके गार्ड ऑफ ऑनर दिया जाएगा। सामान्य आधिकारिक यात्राओं के दौरान यही सम्मान छोटा कर दिया जाएगा, जिसमें एक नॉन-गजेटेड अधिकारी, दो हेड कॉन्स्टेबल, दस कॉन्स्टेबल और एक ब्यूगलर शामिल होंगे। इसी तरह के मानक मुख्यमंत्री, विधानसभा अध्यक्ष, मुख्य न्यायाधीश, मंत्री और अन्य वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों के लिए भी निर्धारित किए गए हैं। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सम्मान समारोह की गंभीरता और औपचारिकता हर स्थिति में एक समान बनी रहे।
जिलों में तैनात District Magistrate (DM) और Superintendent of Police (SP) को गार्ड ऑफ ऑनर केवल दो मौकों पर मिलेगा—पहला, जब वे पद संभालेंगे और दूसरा, जब वे अपना पद छोड़ेंगे। इनके लिए एक हेड कॉन्स्टेबल, चार कॉन्स्टेबल और एक ब्यूगलर की टीम निर्धारित की गई है। पुलिस महानिदेशक (DGP) जल्द ही इस पूरी प्रक्रिया से संबंधित विस्तृत SOP जारी करेंगे, जिसमें कर्मियों की वेशभूषा, परेड ड्रिल, सम्मान देने की विधि और अन्य औपचारिक प्रक्रियाओं का वर्णन होगा। यदि किसी स्थिति में इन नियमों में अपवाद की आवश्यकता पड़े तो संबंधित विभाग को पहले से सामान्य प्रशासन विभाग (प्रोटोकॉल शाखा) से अनुमति लेनी होगी। नई व्यवस्था से उम्मीद है कि राज्य के सभी जिलों में गार्ड ऑफ ऑनर की प्रक्रिया अब और अधिक पारदर्शी, अनुशासित और एकरूप होगी।

















