Income Tax No relief: कर्मचारियो के लिए नया या पुराना स्लैब फायदेमंद, जानिए पूरी डिटेल्स ?

Best24News, Budget 2024 : हर साल कर्मचारी व नौकरी पेशे वाले आयकर छुट (Income rebate) बनाने को लेकर बजट से आस लगाते है! लेकिन मोदी सरकार ने एक दशक से श्रमिको को टैक्स को लेकर कोई खास तोहफा ​नही दिया है! इस बार लोकसभा व विधानसभा चुनवो से पहले एक बार फिर श्रमिको की आस पर पानी फेर दिया है!Haryana News: साइबर सीटी से अयोध्या के लिए शुरू हुई सीधी बस सेवा, जानिए टाइम, किराया और रूट

अंतरिम बजट मे कोई राहत नहीं

सरकार ने अंतरिम बजट में आम आदमी को इनकम टैक्स (Income tax) में कोई राहत नहीं दी है! लंबे समय से उम्मीद लगाए लोगो का गुरूवार को एक बार फिर निराश ही हाथ लगी है! आप पुरानी टैक्स व्यवस्था चुनते हैं तो भी आपकी 2.5 लाख रुपये तक की आय टैक्स फ्री रहेगी। हालांकि, आयकर अधिनियम की धारा 87ए के तहत आप 5 लाख रुपये तक की आय पर टैक्स बचा सकते हैं।

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नई स्लेब में क्या है छुट

नई टैक्स व्यवस्था चुनने पर आपको 3 लाख रुपये तक की आय (Budget 2024)  पर पहले की तरह टैक्स नहीं देना होगा! लेकिन इसमें आयकर अधिनियम की धारा 87ए के तहत वेतनभोगी व्यक्तियों को 7.5 लाख रुपये तक की आय पर और अन्य लोगों को 7 लाख रुपये तक की आय पर कर छूटदी गई है।

पुरानी टैक्स पर कैसे कटेगा टैक्स यहां समझिए गणित

सीए के अनुसार मान लीजिए किसी की सालाना आय 5 लाख रुपये है। पुरानी कर व्यवस्था में 2.5 लाख रुपये तक की आय कर मुक्त है। ऐसी स्थिति में व्यक्ति को बचे हुए 2.5 लाख रुपये पर 5 फीसदी की दर से टैक्स देना होगा। यानी उन 5 लाख तक आय वाले लोगो को 12,500 रुपये टैक्स देना होगा। हालांकि, सरकार आयकर अधिनियम की धारा 87ए के तहत इस टैक्स को माफ कर देती है।Rewari News: ओवरलोड वाहनों पर कसा शिकंजा, पांच वाहन जबत कर लगाया जुर्माना

अब क्या है खेल: अगर आपकी कमाई 5 लाख रुपये से एक रुपये भी ज्यादा है तो आपको एक रुपये पर नहीं बल्कि 2.5 लाख रुपये पर टैक्स देना होगा। अब 2.5 लाख रुपये पर 5 फीसदी की दर से टैक्स देनदारी 12,500 रुपये होगी। बाकी यानि 5 लाख से उपर की राशि पर 20 फीसदी की दर से टैक्स देना होगा।

पुरानी कर व्यवस्था के तहत आयकर स्लैब

आय (रुपये में) कर की दर
2.5 लाख तक 0%
2.5 से 5 लाख 5%
5 से 10 लाख 20%
10 लाख से अधिक 30%

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नई टैक्स में कैसे कटेगा टैक्स

आपकी सालाना आय 5 लाख रुपये है। नई कर व्यवस्था के तहत 3 लाख रुपये तक की आय (Income Tax)  कर मुक्त है। ऐसी स्थिति में व्यक्ति को बचे हुए 2 लाख रुपये पर 5% की दर से टैक्स देना होगा। यानी उन्हें 10 हजार रुपये टैक्स देना होगा। लेकिन इस व्यवस्था में सरकार धारा 87ए के तहत 7.5 लाख रुपये तक की आय पर टैक्स माफ कर देती है।

यहां पर वही खेल: अगर आप नौकरी करते ओर आपकी कमाई 7.5 लाख रुपये से एक रुपये भी ज्यादा है तो आपको एक रुपये पर नहीं बल्कि 4,50,001 रुपये पर टैक्स देना होगा। अब 3 लाख रुपये का टैक्स माफ करने के बाद बचे हुए 4,50,001 रुपये में से 3 लाख रुपये पर 5% की दर से 15,000 रुपये और बचे हुए रुपये पर 10% की दर से 15,000 रुपये देने होंगे। नए स्लेब में कुल टैक्स देनदारी 30,000 रुपये होगी।

50 हजार क्या है अंतर:। जो लोग वेतनभोगी नहीं हैं उन्हें 7 लाख रुपये तक की रकम पर ही टैक्स कटौती का लाभ मिलता है। नई कर प्रणाली में वेतनभोगी लोगों को 50,000 रुपये के मानक कटौती का अलग से लाभ मिलता है, इसलिए उनकी 7.5 लाख रुपये तक की आय कर मुक्त हो जाती है।

नई कर व्यवस्था के तहत आयकर स्लैब

आय (रुपये में) कर की दर
3 लाख तक 0%
3 से 6 लाख 5%
6 से 9 लाख 10%
9 से 12 लाख 15%
12 से 15 लाख 20%
15 लाख से अधिक 30%

पुरानी और नई टैक्स व्यवस्था में अंतर, दिया गया नया विकल्प

इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करने के दो विकल्प हैं। 1 अप्रैल 2020 को एक नया विकल्प दिया गया। नए टैक्स स्लैब में टैक्स फ्री इनकम का दायरा 2.5 लाख रुपये से बढ़ाकर 3 लाख रुपये कर दिया गया, लेकिन टैक्स कटौती हटा दी गई।Rewari News: ओवरलोड वाहनों पर कसा शिकंजा, पांच वाहन जबत कर लगाया जुर्माना

वहीं, अगर आप पुराना टैक्स स्लैब चुनते हैं तो आप कई तरह की टैक्स कटौती का फायदा उठा सकते हैं।

पुरानी कर व्यवस्था में आयकर अधिनियम की धारा 80सी के तहत 1,50,000 रुपये तक की छूट मिलती है। इसके अलावा पुरानी व्यवस्था में कई अन्य तरह की टैक्स कटौती का लाभ लिया जा सकता है। एक और बड़ा अंतर यह है कि पुरानी व्यवस्था में धारा 87ए के तहत छूट के बाद 5 लाख रुपये तक की आय कर मुक्त होती है, जबकि नई व्यवस्था में 7.5 लाख रुपये तक की आय कर मुक्त हो जाती है।

 

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एमएसएससी में निवेश पर क्या मिलेगा

निवेश (रुपये में) आपके पास कुल कितना पैसा होगा ब्याज कितना प्राप्त हुआ (रुपये में)
50 हजार 58 हजार 8 हजार
1 लाख 1 लाख 16 हजार 16 हजार
2 लाख 2 लाख 32 हजार 32 हजार
नोट: यह गणना लगभग चक्रवृद्धि ब्याज के अनुसार की गई है।

बिना पैन के पीएफ निकालने पर कम टैक्स

प्रोविडेंट फंड (पीएफ) से निकासी को लेकर टैक्स नियमों में बदलाव हुआ है. पैन लिंक नहीं होने पर निकासी के दौरान 30% के बजाय 20% टीडीएस वसूलने का फैसला किया गया है। बदले हुए नियम से उन पीएफ