Loco Pilot Duty: भारत में हर दिन करीब 13 हजार से अधिक यात्री ट्रेनें चलाई जाती हैं. जिनमें करोड़ों यात्री सफर करते हैं. इन ट्रेनों को सुरक्षित और समय पर पहुंचाने में लोको पायलट और असिस्टेंट लोको पायलट की अहम भूमिका होती है.
एक ट्रेन में दो पायलट होते हैं
हर ट्रेन में कम से कम दो पायलट – एक लोको पायलट और एक असिस्टेंट लोको पायलट तैनात होते हैं. लंबी दूरी की ट्रेनों में बीच-बीच में चालक बदले भी जाते हैं ताकि वे थकान से बचे रहें और ट्रेन की सुरक्षा बनी रहे.
लोको पायलट की शिफ्ट कितने घंटे की होती है?
न्यूज18 की एक रिपोर्ट के अनुसार रेलवे में ट्रेन ड्राइवर और गार्ड का रोस्टर पहले से तैयार किया जाता है. सामान्य रूप से लोको पायलट की ड्यूटी 8 घंटे की होती है. हालांकि, जरूरत पड़ने पर यह समय थोड़ा बढ़ सकता है.
तय समय से ज्यादा काम पर मिलता है ओवरटाइम
अगर लोको पायलट तय समय से ज्यादा ड्यूटी करते हैं, तो रेलवे उन्हें अतिरिक्त समय का भुगतान (ओवरटाइम) भी करता है. इससे उनका आर्थिक लाभ भी बढ़ता है.
पैसेंजर ट्रेनों में तय समय पर होता है पायलट का बदलाव
पैसेंजर ट्रेनों में लोको पायलट की शिफ्ट 8 घंटे से अधिक नहीं होती. ठीक 8 घंटे पूरे होने पर पायलट बदले जाते हैं. ताकि उन्हें भरपूर आराम मिल सके और वे सुरक्षित तरीके से ट्रेन चला सकें.
लोको पायलट की सीधी भर्ती नहीं होती
ट्रेन ड्राइवर यानी लोको पायलट की सीधी भर्ती नहीं होती. पहले उम्मीदवारों को असिस्टेंट लोको पायलट के पद पर चयनित किया जाता है. इसके बाद अनुभव और कार्य प्रदर्शन के आधार पर पदोन्नति के जरिए लोको पायलट बनाया जाता है.
लोको पायलट बनने के लिए शैक्षणिक योग्यता
अभ्यर्थी को किसी मान्यता प्राप्त बोर्ड से 10वीं या 12वीं पास होना जरूरी होता है. इसके साथ ही आईटीआई या इंजीनियरिंग डिप्लोमा भी होना चाहिए. यह ट्रेनिंग संबंधित तकनीकी विषयों में होनी चाहिए जैसे कि मैकेनिकल, इलेक्ट्रिकल या इलेक्ट्रॉनिक्स.

















