Haryana News: हरियाणा में पिछले तीन दिनों से पराली जलाने के मामले कम हुए हैं। यह अच्छी बात है कि अब पराली से निकलने वाला धुआं थोड़ा कम हो रहा है। लेकिन इसके बावजूद प्रदेश के चार शहर अभी भी प्रदूषण की चपेट में हैं। रोहतक, चरखी दादरी, धारूहेड़ा और गुरुग्राम के लोग अभी भी खराब हवा में सांस ले रहे हैं।
पिछले सोमवार को पूरे हरियाणा में सिर्फ एक ही एक्टिव फायर लोकेशन (एएफएल) का मामला सामने आया था। अब तक कुल 617 ऐसे मामले दर्ज किए जा चुके हैं। प्रदूषित शहरों की बात करें तो मंगलवार को रोहतक का एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) बहुत खराब स्थिति में था।
रोहतक का एक्यूआई 326 तक पहुंच गया, जो बेहद चिंताजनक है। धारूहेड़ा और चरखी दादरी का एक्यूआई भी 320 के आसपास है। गुरुग्राम का एक्यूआई 303 रहा। ये आंकड़े बताते हैं कि इन शहरों में लंबे समय से हवा की गुणवत्ता में कोई सुधार नहीं हुआ है।
हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सेवानिवृत वैज्ञानिक रणबीर राठी के मुताबिक, पराली जलाने से कुल प्रदूषण का लगभग 16 से 20 प्रतिशत हिस्सा आता है। लेकिन सबसे ज्यादा प्रदूषण वाहनों से होता है। इसके अलावा, जो कचरा शहरों और गांवों में जलाया जाता है, वह भी हवा को प्रदूषित करता है। ठंड के मौसम में हवा बहुत धीमी चलती है, इसलिए प्रदूषण के छोटे-छोटे कण हवा में लटके रहते हैं और वातावरण खराब होता है।
रणबीर राठी ने कहा कि प्रदूषण से तब ही राहत मिलेगी जब तेज हवा चलेगी या बारिश होगी। तब जाकर प्रदूषण के ये कण हवा से साफ होंगे और हवा की गुणवत्ता बेहतर होगी। फिलहाल, इन शहरों में प्रदूषण का स्तर चिंता जनक बना हुआ है।

















