Haryana News: हरियााणा में जिला रेवाडी 14 बुजुबान पशुओ की दर्दनाक मौत के बाद प्रशसन की नींद टूटी है। हाईवे पर बनी कंपनी की ओर से छोडे जा रहे केमिकलयुक्त पानी पीने से हुई गोवंश की मौत मामले में अब 2 कंपनियों के खिलाफ मामला दर्ज हो गया है।
बता दे बावल पुलिस ने धारा 325 BNS, दा वॉटर ( प्रीवेंशन एंड कंट्रोल ऑफ पाल्यूशन ) एक्ट 1974, दा एनवायरमेंट प्रोटेक्शन एक्ट 1986 के तहत यह कार्रवाई की है।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि पशुओं की मौत जहरीले पानी से हुई है। जिसके बाद बावल थाना पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है। बता दे कि रेवाड़ी के बावल स्थित 2 कंपनियों के द्वारा अपना केमिकलयुक्त पानी पाइप लगाकर खाली जमीन पर छोड़ा जा रहा था।

खेड़ा मुरार गांव निवासी रणबीर व मनीष की गायों ने ये पानी पी लिया। पानी पीने के कुछ देर बाद ही 14 गायो की तडक तडक पर मौत हो गई। मौत के बाद कंपनियों के गेट पर ग्रामीणों ने हंगामा किया था। जिसके बाद पशुपालन विभाग की टीम ने मौके पर पहुंचकर गायों का पोस्टमार्टम करवाया।
बिना एनओसी चल रही कंपनी: सूत्रों से पता चला है कंपनी के कोई एनओसी नहीं है। कंपनियों इसक लिए प्रशासन की घर बैठे जेब भरी है। ऐसा है कि प्रशासन को इसका पता नहीं था। पता सब को है लेकिन जब प्रशासन को पैसे मिल रहे है तो फिर कार्रवाई कौन करें। जिला रेवाडी मे कई ऐसी कंपनियां तो धउल्ले से पानी छोड रह रही है लेकिन प्रशासन कोई कार्रवाई नहीं करती है।
जिन कंपनियों पर खुले में केमिकल युक्त पानी छोड़ने के आरोप लगे हैं, वो बिना एनओसी के चल रही थी। पॉल्यूशन बोर्ड के अधिकारियों ने कहा था कि उन्होंने घटना के बाद कंपनी सील कर दी हैं लेकिन मौके पर अभी भी कंपनियों में काम चल रहा है, उन्हें केवल नोटिस दिया गया है।
बडा सवाल: हरियाणा प्रदूषण विभाग के पास सभी कंपनियों का रिकोर्ड होता है। लेकिन सबसे अहम बात यह है यह टीम कभी भी कार्रवाई नहीं करती है। कंपनी प्रबधकों से इनकी दोस्ती बनी रहती है तो केवल कागजो मे इससे अपडेट कर देते है। देश का बडा दुर्गाग्य है कि प्रशासन के पास सब अधिकार होने के बावजूद कार्रवाई क्यों नहीं करता।
बता दे अगर यहां पर हादसा नहीं होता तो प्रशासन इन कंपनी पर कोई कोई कार्रवाई नही भले ही कितना ही पानी बाहर छोड दे। यह पानी आज का नया तो नही है। पुलिस व प्रशासन को सबको पता है। कितनी जमीन बंजर हो गई लेकिन कार्रवाई कौन करें।

















