Haryana: बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर और प्रसिद्ध कथा वाचक पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के नेतृत्व में निकाली जा रही “सनातन हिंदू एकता पदयात्रा” शनिवार को अपने दूसरे दिन हरियाणा पहुंची। इस अवसर पर हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने पदयात्रा में शामिल होकर बागेश्वर बाबा का स्वागत किया और यात्रा में भागीदारी भी जताई। हजारों की संख्या में श्रद्धालु इस पदयात्रा में शामिल हुए और “जय श्री राम” तथा “भारत माता की जय” के नारों से वातावरण गूंज उठा। यह यात्रा देशभर के संतों और भक्तों की उपस्थिति में एकता, धर्म और राष्ट्रवाद का संदेश दे रही है।
सनातन हिंदू एकता पदयात्रा के दूसरे दिन धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कहा कि अब देश के हिंदू जाग रहे हैं, भय छोड़कर सड़कों पर उतर रहे हैं। उन्होंने कहा, “देश जागेगा, भारत हिंदू राष्ट्र बनेगा, जातिविहीन भारत बनेगा और राष्ट्रवाद की विचारधारा को नया जीवन मिलेगा।” शास्त्री जी ने स्पष्ट किया कि इस पदयात्रा का उद्देश्य समाज में समरसता, भाईचारा और हिंदू एकता को मजबूत करना है। उन्होंने कहा कि जब तक भारत हिंदू राष्ट्र नहीं बनता, तब तक यह यात्रा जारी रहेगी। उनके शब्दों में — “हम तब तक नहीं रुकेंगे, जब तक भारत हिंदू राष्ट्र नहीं बन जाता।”
दिल्ली से आरंभ हुई 10 दिवसीय सनातन हिंदू एकता पदयात्रा
यह पदयात्रा 7 नवंबर को दिल्ली से आरंभ हुई थी। देशभर से आए संतों की उपस्थिति में दीदी माँ ऋतंभरा सहित कई प्रमुख साधु-संतों ने बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री को धार्मिक ध्वज भेंट कर यात्रा का शुभारंभ किया। यह यात्रा 10 दिनों तक चलेगी और 16 नवंबर को वृंदावन में संपन्न होगी। लगभग 150 किलोमीटर की इस पदयात्रा में हर दिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल हो रहे हैं। यात्रा के दौरान धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री समाज में एकता और धर्म के प्रति जागरूकता फैलाने के संदेश दे रहे हैं।
महिलाओं की बढ़ी भागीदारी, संख्या एक लाख पार
बागेश्वर धाम की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि इस पदयात्रा के लिए अब तक 50,000 से अधिक लोगों ने पंजीकरण कराया है, लेकिन वास्तविक उपस्थिति एक लाख से भी अधिक हो चुकी है। खास बात यह है कि पुरुषों के साथ बड़ी संख्या में महिलाएं और युवतियां भी इस यात्रा का हिस्सा बन रही हैं। यात्रा में युवाओं, साधु-संतों, सामाजिक संगठनों और महिला समूहों की सक्रिय भागीदारी देखी जा रही है। बागेश्वर धाम की टीम का कहना है कि यह यात्रा न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि सामाजिक एकता और राष्ट्रीय चेतना का भी प्रतीक बनेगी।

















