Haryana: केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह को रेवाड़ी, बावल और पटौदी में जिस तरह की लीड मिलने की उम्मीद थी इस बार उससे कम वोट मिले है। आखिर वोट कम क्यों आई! ऐसी दिक्कत आई तो क्यों आई। यहीं दो सवाल बूथ एजेंटों को बुलाकर मंथन किया है। साफ जाहिर है कि अपने ही गढ में भीतरघात हुआ है।
दक्षिणी हरियाणा में राव इंद्रजीत सिंह की हमेशा ही अहम भूमिका रही है। लगातार तीसरी बार मोदी सरकार में मंत्री पद जरूर राव इंद्रजीत सिंह को मिल गया, लेकिन केबिनेट में पद मिलना तथा जीत का मर्जिन कम होना चिंता का विषय है।
2014 और 2019 में 2 लाख से ज्यादा वोटों से जीत दर्ज करने वाले राव इंद्रजीत सिंह की जीत का मार्जिन इस बार 70 हजार पर आकर टिक गया।
बता दें कि गुरुग्राम लोकसभा के 9 हल्कों में नूंह जिले की मुस्लिम बाहुल्य तीन विधानसभा सीटों को छोड़कर सबसे कम वोट राव इंद्रजीत सिंह को बावल हल्के में मिले हैं। यहां राव को 85903 और कांग्रेस के राज बब्बर को 63409 वोट मिले, जबकि बावल राव इंद्रजीत सिंह का गढ़ रहा है। सबसे अहम बात यह है यहां पर डा बनबारी के होते हुए भी कम वोट मिलना राव समर्थको के लिए आफत बना हुआ है।
रेवाड़ी विधानसभा सीट पर राव इंद्रजीत सिंह एक लाख वोट की लीड का सपना संजोए थे, जबकि यहां भी महज 36 हजार की लीड मिली। इसी तरह पटौदी में राव इंद्रजीत सिंह को 101187 तो राज बब्बर को 58197 वोट मिले।
गांवों में क्यों गिरा ग्राफ
राव इंद्रजीत सिंह ग्रामीण एरिया में गिरे ग्राफ को कवर करने की कोशिश में लगे है। साथ ही इसकी भी जानकारी जुटाई जा रही है कि आखिर कौन सी सीट पर किस नेता ने भीतरघात की कोशिश की। अब मंथन किया जा रहा है किन एजेंसी की ओर से अंदर चाल खेली गई है।