Jagadguru Shankaracharya Swami : कई सरकार आई, सिर्फ चोला बदला, गायों के प्रति मानसिकता नहीं

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Jagadguru Shankaracharya Swami:  ज्योतिष पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा कि हमारी भारतीय संस्कृति में गाय का बहुत ऊंचा स्थान दिया है, लेकिन आज भी उसे मोमाता का स्थान नहीं मिला है। शंकराचार्य ने कहा कि आजादी के बाद से ही हमारे पूर्वज मांग करते रहे ताक गायो का सम्मान हो सके। लेकिन बार-बार आश्वासन देने के बाद भी केंद्र में अब तक की सरकार ने हिंदुओं की मांग की ओर ध्यान नहीं दिया गया है।

 

कई सरकार आई मंगर नही बदला रवैया: ज्योतिष पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा कि सरकारों से हमारा मोह भंग हो चुका है। हम जान गए हैं कोई भी सरकार किसी नाम से आए। केवल चोला बदला जाता है, मानसिकता नहीं।आज भी गायो की कटाई जारी है। इसलिए हमने नेताओं और पार्टियों से मोह भंग कर लिया है।

संकल्प लेना होगा: स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा 33 करोड़ लोग संकल्प कर लें कि गाय के लिए वोट करेंगे। तो फिर गो रक्षा हो जाएगी। यह हम हिंदुओं के लिए बड़ा कलंक है। शंकराचार्य मंगलवार को अलवर आए। यहां मीडिया से बातचीत में गाय को लेकर सरकारों को घेरते हुए कहा कि 100 करोड़ हिंदूओं की मांग किसी भी सरकार ने पूरी नहीं की है, अब आम जनता को ही आगे आना होगा।

 

शंकराचार्य ने कहा कि हिंदू होने की तीन पहचान है। गाय में जिसकी भक्ति में हो, पुनर्जन्म में आस्था हो। वो हिंदू है। गाय में भक्ति नहीं है तो आप हिंदू नहीं है। इसलिए गाय हमारे लिए अनिवार्य है। वैसे भी गाय को माता माना गया है।

।गाय पूजनीय है। देवताओं की निवास स्थली है। बार बार मांग उठाने जाने के बावजूद ऐसी पूजनीय गाय को काटा जा रहा है। सरेआम उसके मांस का व्यापार किया जा रहा है। जगह जगह मंडी बनी हुई है। इतना ही नही आजकल तो होम डिलीवरी भी शुरू हो गई है।

केवल गाय के दूध को अमृत कहा गया है। उसी गाय को हम काट रहे है। हिंदु संस्कृति मे इस कलंक को मिटाना होगा। शंकराचार्य ने कहा कि जहां हम जा रहे हैं अपार समर्थन मिल रहा है। कई हजारों लोग संकल्प कर चुके। 33 करोड़ लोग जल्दी संकल्पित हो जाएंगे।

 

हर पूर्वज ने गाय की पूजा की

हम सनातन धर्मियों का कतृव्य है कि उसकी पूजा करें। रक्षा करें। पूर्वजों के बताए अनुसार सेवा करें। इसलिए हम परेशान हैं। वेद पुराण के अनुसार हर पूर्वज ने गाय की पूजा की है। लेकिन कुछ सालो से गायो की कदर कम होती जा रही है।

गाय से हमारा सनातन धर्म से नाता है। हमने जीवन में स्वीकार कर लिया है। जिन लोगों ने सनातन को स्वीकार कर लिया है। जिन्होंने सनातन स्वीकार नहीं किया उनके लिए गाय पशु है। जिसने गाय का पशु माना वो समझो उन में संस्कार अभी भी नहीं है।