EV Policy Approved By Union Government: देश में इलेक्ट्रिक व्हीकल मैन्युफैक्टचरिंग को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार ने ई-पॉलिसी को हरी झंडी दिखा दी है। केंद्र सरकार ने 15 मार्च को ईवी पॉलिसी को मंजूरी दे दी है।
जानिए कंपनियोंं को क्या होगें फायदे
पॉलिसी के तहत कंपनियों को कम कस्टम ड्यूटी लिमिटेड कार को इम्पोर्ट करना का फायदा मिलेगा। कंपनियों के अलावा कंज्यूमर को लेटेस्ट टेक्नोलॉजी को एक्सेस करना का मौका मिलेगा। इस पॉलिसी से ईवी इकोसिस्टम को मजबूत करने में मदद मिलेगी। इम्पोर्ट कर Completely Built Up (CBU) लाने पर कस्टम ड्यूटी 15% लगेगी।
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बता दे कि तैयार ऑटोमोबाइल पार्ट के इम्पोक्ट करने पर 15 फीसदी कस्टम ड्यूटी लगेगी। फिलहाल रेडी ऑटोमोबाइल पार्ट के इम्पोर्ट करने पर 70% कस्टम ड्यूटी लगती है। ड्यूटी में छूट बस 5 साल के लिए ही है और एक साल में 8000 कारों पर ही इम्पोर्ट ड्यूटी की छूट मिलेगी।
ऐसे में 5 साल में कुल 40000 कार पर छूट मिलेगी। सालना लिमिट पूरी न होने पर कैरी फॉरवर्ड का ऑप्शन मिलेगा। पॉलिसी के लिए 120 दिनों के भीतर सरकार एप्लीकेशन जारी करेगी।
EV Policy Approved इस पॉलिसी के तहत इलेक्ट्रिक 4-व्हीलर के मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा मिलेगा। भारी उद्योग मंत्रालय की ओर से जारी नोटिफिकेशन के मुताबिक इस ईवी पॉलिसी के तहत भारत में इलेक्ट्रिक व्हीकल और उसके प्रमोशन का पूरा खाका तैयार कर लिया गया है।
नई EV Policy की अहम बातें:
कोई भी इलेक्ट्रिक वाहन निर्माता जो भारत में कम से कम 4,150 करोड़ रुपये का निवेश करने और स्थानीय रूप से इलेक्ट्रिक वाहनों का निर्माण शुरू करने के लिए तीन साल की समय सीमा का पालन करने का वादा करता है, उसे ईवी पर आयात कर में कटौती मिलेगी।
हालांकि, यह नीति ईवी निर्माताओं को एक वर्ष में अधिकतम 8,000 इलेक्ट्रिक कारों को भारत लाने की अनुमति देती है।
पात्रता मानदंड के तहत, ईवी निर्माता को कार बनाने के लिए स्थानीय बाजारों से 35 प्रतिशत कंपोनेंट्स का इस्तेमाल करना चाहिए।
यह भी कहा गया है कि इन निर्माताओं को पांच वर्षों के भीतर घरेलू मूल्य वर्धन (डीवीए) का 50 प्रतिशत तक पहुंचना होगा।