नाम व हुलिया बदलकर किराये के मकानों में रह रहे अपराधी
भिवाडी में किरायेदार बनकर रहा था उत्तराखंड के मर्डर का ईनामी बदमाश
हरियाणा। (Sunil Chauhan) औद्योगिक कस्बा भिवाडी व धारूहेडा किरायेदारो के पंजीकरण के अभाव में अपराधियों की पसंदीदा अड्डा बनने लगा है। यहां पर हरियाणा, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, यूपी व एनसीआर की बड़ी-बड़ी गैंग के अपराधी फरारी काटने के लिए आते हैं।
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मोबाइल से खुला राज: सूत्रो के अनुसार उत्तराखंड टीम को पता चला था मर्डर का आरोपी राहुल भिवाडी में किरायेदार बनकर रहा है। देहरादून एसटीएफ और एसओजी पुलिस उत्तराखंड की टीम ने भिवाड़ी डीएसटी टीम से संपर्क किया और आरोपी के भिवाड़ी में फरारी काटने की बात बताई,
जिस पर भिवाड़ी डीएसटी टीम के हेड कांस्टेबल योगेश व कांस्टेबल ओम प्रकाश ने आरोपी की गहनता से तलाश शुरू की। भिवाड़ी के अंदर ही मुखबिरी के आधार पर आरोपी को धर दबोचा। भिवाड़ी डीएसटी टीम ने आरोपियों को गिरफ्तार कर देहरादून उत्तराखंड पुलिस के हवाले कर दिया है।
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ईनामी बदमाश काबू: भिवाड़ी पुलिस की डीएसटी टीम ने ऐसा ही एक देहरादून उत्तराखंड से फरार चल रहे 25 हजार के इनामी हत्या के आरोपी को भिवाड़ी के अंदर गिरफ्तार कर लिया है, यह आरोपी 2 अप्रैल को वन विभाग से रिटायर्ड एक व्यक्ति की हत्या करने के बाद वहां से फरार होकर भिवाड़ी में फरारी काट रहा था।
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ये था मामला: डीएसटी प्रभारी मुकेश कुमार ने बताया कि 2 अप्रैल को उत्तराखंड के देहरादून डालनवाला थाने में आशा जायसवाल ने मामला दर्ज कराया था कि उनके पति सुरेंद्र जायसवाल वन विभाग से सेवानिवृत्त होकर अलग रह रहे थे। एक दिन उनकी मृत्यु की सूचना लगी तो उन्होंने जाकर देखा कि उनके पति का शव कमरे में पड़ा हुआ था गले में बैग की बारीक रस्सी लटकी हुई थी।
बदमाश पर था 25 हजार का ईनाम: पुलिस ने हत्या का मामला दर्ज करते हुए गहनता से छानबीन की और इस मामले में नगला फौजदार डीग भरतपुर के रहने वाले राहुल पुत्र सुरेश जाट को हत्या के लिए दोषी पाया गया। यह आरोपी घटना के बाद से ही फरार चल रहा था, जिस पर देहरादून महा निरीक्षक ने 25 हजार रुपए का इनाम भी घोषित किया हुआ था।
पहले भी पकडे है कई अपराधी: औद्योगिक कस्बा धारूहेडा व भिवाडी किरायेदारो के पंजीकरण के अभाव में अपराधियों की पसंदीदा अड्डा बनने लगा है । यहां पर हरियाणा, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, यूपी व एनसीआर की बड़ी-बड़ी गैंग के अपराधी फरारी काटने के लिए आते हैं। पहले भी कई गैंगस्टर यहां से काबू किए है। अगर पंजीकरण को लेकर मकान मालिक इसी तक अनभिज्ञ बने रहे तो यह उनके लिए भी घातक हो सकता है।
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सुरक्षा के लिए पंजीकरण जरूरी: बार बार पुलिस की ओर से पंजीकरण को लेकर मकान मालिको को पंजीकरण करवाने के लिए जागरूक किया जा रहा है, लेकिन ज्यादा धन के लालच में मकान मालिक पंजीकरण नहीं करवाते है। इसी लापरवाही के चलते आजकल धारूहेडा व भिवाडी अपराधियो की शरणास्थली बनता जा रहा है।
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नाम बदल कर रहे अपराधी: गैगस्टर से जुडे कई अपराधी अपना नाम व हुलिया बदल यहां पर शरण ले लेते है। ऐसे में उनके नाम की पंजीकरण नहीं होने के चलते आम आदमी को कोई शक नहीं होता हैं धारूहेडा में पहले भी ऐसे कई केस पकडे जा चुके है जो यहां पर नाम व हुलिया बदल कर रह रहे थें