रेवाड़ी: बैंकों के निजीकरण के विरोध में यूनाइटेड फोरम आफ बैंक यूनियन के आह्वान पर बैंककर्मी दूसरे दिन भी हड़ताल पर रहे। कर्मचारियों ने महाराणा प्रताप चौक स्थित एसबीआइ बैंक की शाखा के सामने धरने पर बैठकर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया। हड़ताल के चलते दूसरे दिन भी बैंकों में ताले लटके रहे, जिसके चलते बैंकों में आए उपभोक्ताओं को बैरंग ही लौटना पड़ा। वहीं हड़ताल के कारण जिले में विभिन्न सरकारी बैंकों की करीब 90 शाखाएं बंद रहीं, जिसके चलते 650 करोड़ से अधिक का कारोबार प्रभावित रहा।
शुक्रवार को हड़ताल के दूसरे दिन भी बैंककर्मियों की ओर से शहर के मुख्य बाजारों से रोष मार्च निकाला गया। इस दौरान कर्मचारियों ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए लोगों को निजीकरण के दुष्प्रभावों के बारे में जागरूक किया। रोष मार्च वापस धरनास्थल पर आकर समाप्त हुआ।
घातक है बैंकों का निजीकरण: फोरम के पदाधिकारी अविनाश यादव और बबरूभान ने कहा कि सरकार बैंकों का निजीकरण करने पर तुली हुई है, जोकि देश और आमजन के लिए घातक है। उन्होंने कहा कि सरकारी बैंकों की ओर से वर्तमान में सरकार द्वारा चलाई जा रही विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं बेहतर तरीके से क्रियान्वयन किया जा रहा है। सरकारी बैंकों की तरफ से जनधन खाते, किसान क्रेडिट कार्ड, पेंशन योजनाओं आदि को आमजन तक बिना किसी परेशानी के पहुंचाया जा रहा है। इसके बावजूद सरकार बैंकों का निजीकरण कर रही है। उन्होंने कहा कि अगर सरकारी बैंकों का निजीकरण हो गया तो न केवल ग्रामीण और दूर-दराज के क्षेत्रों में वित्तीय सेवाएं बंद हो जाएंगी बल्कि आमजन भी सरकारी योजनाओं से वंचित हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि कर्मचारियों की हड़ताल के बावजूद सरकार के कानों में जूं तक नहीं रेंग रही है।
उन्होंने कहा कि अगर सरकार जल्द इसको लेकर कोई कदम नहीं उठाया तो बैंककर्मी कठोर कदम उठाने को मजबूर होंगे, जिसके लिए सरकार स्वयं जिम्मेदारी होगी। इस मौके पर अशोक कुमार, अश्विनी शर्मा, महेश यादव, लोकेश कुमार, यशपाल सिंह, ईश्वर सिंह, रोशनलाल, पुष्पेंद्र कुमार, सुदर्शन मेहंदीरत्ता, योगेश कुमार दिनकर, ईश्वर सिंह, सुनील कुमार आदि मौजूद रहे।