Haryana News: चर्चित सरकारी भूमि घोटाले में मॉडल गांव अरजाहेड़ी में 12 साल बाद, अदालत ने सख्त रुख अपनाते हुए 13 दोषियों को 5 से 7 वर्ष की साधारण कैद और जुर्माने की सजा सुनाई है। हर दोषी को चालिस हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। तत्कालीन सरपंच, सरपंच प्रतिनिधि, बीडीपीओ, नायब तहसीलदार, नंबरदार, प्रॉपर्टी डीलर, निजी व्यक्ति और दस्तावेज लेखक भी दोषी हैं। अदालत ने कहा कि सभी सजाएं एक साथ चलेंगे और जांच और ट्रायल के दौरान जेल में बिताई गई अवधि को सजा में समायोजित किया जाएगा।
जुर्माना अदा नहीं करने पर भी अधिक कैद भुगतनी होगी। कोर्ट ने कहा कि राजस्व और दस्तावेजी प्रक्रिया से जुड़े लोगों की मिलीभगत से साजिश रची गई थी। जय सिंह, ईश्वरी देवी, हरीश कुमार, कुलजीत सिंह डाहिया, करमबीर उर्फ करमवीर, राजेंद्र पाल, ईश्वर सिंह पुत्र दीप चंद, करम सिंह, जसपाल, डालेल सिंह, देश राज, ईश्वर सिंह नंबरदार और राज कुमार उर्फ राजू को इस मामले में दोषी ठहराया गया था।
अदालत ने इसे राज्य को हुए नुकसान का आंशिक भुगतान बताया है। उन्हें तुरंत सजा के वारंट बनाने के निर्देश भी दिए गए थे, साथ ही दोषियों को फैसले की प्रति निशुल्क उपलब्ध कराने के निर्देश भी दिए गए थे। पब्लिक प्रोसिक्यूटर अमृतपाल सिंह ने बताया कि पूरे मामले में 16 लोगों में से दो आरोपियों रामप्रसाद और नानकी देवी की मौत हो गई है, जबकि एक आरोपी पृक्षित (PO) फरार है। अदालत ने बाकी 13 दोषियों को सजा सुनाई है।
इसमें पूरा घोटाला था
अदालत के रिकॉर्ड के अनुसार, करनाल के मॉडल गांव अरजाहेड़ी में सरकारी जमीन को निजी मालिक बताने की साजिश की गई थी। इसके लिए सरकारी रिकॉर्ड में अवैध बदलाव किए गए, झूठे खरीद-फरोख्त के दस्तावेज बनाए गए और फर्जी आवंटन पत्र बनाए गए। परीक्षण ने स्पष्ट किया कि यह एक सुनियोजित आपराधिक साजिश थी, न कि एक आम गलती। कोर्ट ने कहा कि देश में भूमि घोटाले एक लगातार बढ़ती गंभीर समस्या है। फर्जीवाड़े के जरिए जमीन हड़पना और सरकारी रिकॉर्ड से छेड़छाड़ करना न केवल कानून का उल्लंघन है, बल्कि आर्थिक और सामाजिक ढांचे पर भी सीधा हमला है।
















