Delhi Pollution: दिल्ली-एनसीआर की जहरीली हवा के खिलाफ जनता का गुस्सा अब सड़कों पर उतर आया है। लगातार बढ़ते प्रदूषण स्तर से परेशान नागरिकों ने रविवार शाम इंडिया गेट पर शांतिपूर्ण प्रदर्शन का ऐलान किया था। इसके मद्देनज़र दिल्ली पुलिस ने सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी और प्रदर्शन स्थल को खाली करा लिया। पुलिस ने स्पष्ट किया कि इस प्रदर्शन के लिए किसी प्रकार की अनुमति नहीं ली गई थी, इसलिए सुरक्षा, कानून-व्यवस्था और ट्रैफिक सुरक्षा के मद्देनज़र इसे रोकना पड़ा। न्यू दिल्ली की एडिशनल डीसीपी ने आयोजकों को पत्र लिखकर चेतावनी दी कि शाम 5 बजे से प्रस्तावित यह कार्यक्रम अनुमति के बिना आयोजित नहीं किया जा सकता।
दिल्ली-एनसीआर के नागरिक अब “वॉरियर मॉम्स” और “माय राइट टू ब्रीद (My Right To Breathe – MRTB)” जैसे नागरिक संगठनों के बैनर तले एकजुट होकर सरकार से कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। लोग हाथों में तख्तियां लिए नारे लगा रहे हैं — “साफ हवा मेरा अधिकार है” और “मुझे सांस लेने दो।” इन संगठनों का कहना है कि सरकार केवल मीटिंग और बयानबाजी तक सीमित है, जबकि स्थिति दिन-ब-दिन भयावह होती जा रही है। नागरिक समूहों ने यह भी मांग की है कि सरकार तत्काल स्वास्थ्य परामर्श जारी करे और प्रदूषण नियंत्रण के लिए ठोस कदम उठाए।
दिल्ली की हवा ‘खतरनाक’ स्तर पर पहुंची — CPCB रिपोर्ट
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के आंकड़ों के अनुसार, रविवार सुबह दिल्ली के अधिकांश इलाकों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) ‘गंभीर’ यानी severe श्रेणी में पहुंच गया, जो इस सीजन का सबसे खराब स्तर है। राजधानी के आनंद विहार, जहांगीरपुरी, और द्वारका जैसे इलाकों में AQI 450 से ऊपर दर्ज किया गया। विशेषज्ञों का कहना है कि खेतों में पराली जलाने, वाहनों से निकलने वाले धुएं और औद्योगिक उत्सर्जन ने दिल्ली को गैस चैंबर में बदल दिया है। बच्चों, बुजुर्गों और अस्थमा मरीजों के लिए यह स्थिति बेहद खतरनाक मानी जा रही है।
सरकार की निष्क्रियता पर उठ रहे सवाल
प्रदूषण के खिलाफ प्रदर्शन करने वाले लोग सरकार की निष्क्रियता पर सवाल उठा रहे हैं। उनका कहना है कि हर साल प्रदूषण के समय वही पुराने वादे किए जाते हैं लेकिन जमीनी स्तर पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया जाता। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर जल्द ही सरकार ने कठोर कदम नहीं उठाए तो दिल्ली-एनसीआर की हवा और भी जहरीली हो जाएगी। वहीं, स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने लोगों से घरों में रहने, एन-95 मास्क पहनने और बच्चों को बाहर खेलने से रोकने की सलाह दी है। नागरिकों का कहना है कि यह सिर्फ पर्यावरण नहीं, बल्कि जीवन-मरण का सवाल बन चुका है।

















