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Breaking News: अपराधी का चेहरा ढकने के पीछे जानिए क्या है वजह !

On: June 19, 2025 2:56 PM
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अपराधी का चेहरा ढकने के पीछे है जानिए क्या है वजह

Breaking News: आरोपी को कोर्ट (Court) ले जाते समय उसका चेहरा ढकने के पीछे एक बड़ी वजह है। दरअसल, किसी भी आरोपी का चेहरा तब तक सामने नहीं आना चाहिए जब तक उसके खिलाफ आरोप साबित न हो जाएं, क्योंकि हो सकता है कि वह व्यक्ति दोषी न हो, उस पर झूठा आरोप लगाया गया हो।

ऐसे में समाज में उसे बदनाम नही किया जाना चाहिए. अगर किसी ऐसे व्यक्ति का चेहरा सार्वजनिक रूप से सामने आ जाए जिसने कोई अपराध न किया हो, तो उसकी जिंदगी बर्बाद हो सकती है.

बता दें कि प्रक्रिया यह है कि अपराधी (Accused) के पकड़े जाने के बाद, जेल के अंदर फरियादी से शिनाख्त परेड कराई जाती है।ताकि फरियादी ,मुलजिम को पहचान कर बताये कि यही वाला है. इसके लिए ,वहां लगभग उसी उम्र के ,कद काठी के 8–18 और बंद कैदी एक लाइन में बैठाए जाते है. से बॉडी ढक दी जाती है।केवल चेहरा खुला रहता है।  Breaking News

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कार्यपालिक मजिस्ट्रेट के सामने ,फरियादी  (Accused) बुलाया जाता है।वह सिर पर हाथ रख कर पहचान करता है।कि इसने घटना की।वह पत्रक ,सीलबंद होकर ,विचारण न्यायालय के पास भेज दिया जाता है।अगर पहले से ही सब देख लें तो कारवाही दूषित हो जाती है।यह सामान्य प्रक्रिया है जो चोरी,लूटपाट आदि के मामलों में होती है. शेष मामलों में उन निन्दा से बचाने के लिए भी किया जाता है।

अक्सर आपने देखा होगा की आरोपी (Accused) को कोर्ट (Court) में पेश करने के दौरान या मीडिया के सामने लाने से पहले उसका चेहरा काले कपड़े से ढक दिया जाता है (Why Do Faces Of Thieves Covered With Black Cloth) । लेकिन क्या आप जानते हैं कि ऐसा क्यों किया जाता है? हम में से ज्यादातर लोग कई चीजों को सामने से देखते तो जरूर हैं लेकिन उन चीजों के बारे में ज्यादा जानते नहीं हैं

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ये अधिकार भी होते हैं आरोपियों के पास

अगर पुलिस किसी को आरोपी मानकर गिरफ्तार करती है तो उसे उसका अपराध और गिरफ्तारी का आधार बताना होता है। इतना ही नहीं पुलिस को ये भी बताना होता है कि आरोपी को जमानत पर छोड़ा जा सकता है या नहीं.

अगर किसी व्यक्ति को गिरफ्तार किया जा रहा है, तो उसके पास यह अधिकार है कि वो पुलिस से वकील की मदद लेने की इजाजत मांग सकता है. गिरफ्तारी के बाद थाने में उससे मिलने उसके मित्र संबंधी भी जा सकते हैं.

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ऐसा न करने पर दोषी ठहराए जा सकते हैं

पूछताछ करने वाले अधिकारी के हस्ताक्षर भी होने चाहिए और गिरफ्तार व्यक्ति को उसकी एक प्रति मिलना चाहिए. प्रत्येक 48 घंटे में डॉक्टरों का पैनल गिरफ्तार व्यक्ति की मेडिकल जांच करे. प्रत्येक दस्तावेज या मेमो को मजिस्ट्रेट को रेकॉर्ड स्वरूप भेजा जाना चाहिए। 12 घंटे में जिले के पुलिस कंट्रोल रूम को गिरफ्तार व्यक्ति के बारे में सूचना देनी चाहिए.Breaking News

Sunil Chauhan

मै पिछले दस साल से पत्रकारिता में कार्यरत हूं। जल्दी से जल्दी देश की की ताजा खबरे को आम जनता तक पहुंचाने के साथ समस्याओं को उजाकर करना है।

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