Haryana News: यह हरियाणा के किसानों और आम नागरिकों के लिए एक महत्वपूर्ण और दूरगामी सुधार है। भूमि स्वामित्व और विभाजन से जुड़े विवाद वर्षों तक न्यायालयों में चलते रहे हैं, जिससे न केवल किसानों का समय और धन नष्ट होता था, बल्कि कृषि कार्य भी प्रभावित होता था। हरियाणा भूमि-राजस्व (संशोधन) अधिनियम, 2025 के लागू होने से इन समस्याओं का समाधान अब और तेज़ी से हो सकेगा।
हरियाणा भूमि-राजस्व (संशोधन) अधिनियम, 2025 — मुख्य विशेषताएं
1. वर्षों से लंबित भूमि विवादों का समाधान
संयुक्त परिवारों में भूमि के स्वामित्व को लेकर अब विवाद जल्दी सुलझेंगे।
सरकार की प्रक्रिया अब धीमी और जटिल नहीं, बल्कि सरल और प्रभावी होगी।
2. धारा 111-ए का विस्तार
अब लगभग सभी रक्त संबंधियों पर यह लागू होगा।
पति-पत्नी को अपवाद के रूप में रखा गया है (उनके बीच विभाजन की आवश्यकता नहीं)। इससे भाई-बहन, चचेरे-ताऊ के बच्चों आदि के बीच साझा जमीन के विवादों का समाधान आसान होगा।
3. राजस्व अधिकारी ले सकेंगे स्वतः संज्ञान
अधिकारी खुद पहल कर सकेंगे और साझा स्वामियों को नोटिस भेजेंगे।
6 महीने में आपसी सहमति से विभाजन की प्रक्रिया पूरी करनी होगी।
इससे भूमि अभिलेखों का नियमितीकरण होगा।
4. धारा 114 समाप्त — अकेले स्वामी भी कर सकेगा आवेदन
अब एकमात्र साझेदार भी आवेदन कर सकता है।
दूसरे सह-स्वामी की सहमति अनिवार्य नहीं।
इससे अड़चनें खत्म होंगी और संपत्ति जल्दी बंटेगी।
5. न्यायिक विवादों में कमी
- भूमि विवादों से जुड़े केसों में न्यायालयों पर भार कम होगा।
- नागरिकों को अपने हिस्से का स्पष्ट अधिकार मिलेगा।
लाभ किसे होंगे?
- किसान परिवार, जिनके पास साझा ज़मीन है
- ग्राम स्तर पर भूमि रिकॉर्ड की स्थिति बेहतर होगी
- निवेश व ऋण प्राप्त करने में सहूलियत, क्योंकि अब हर हिस्से का कानूनी मालिक स्पष्ट होगा
- डॉ. सुमिता मिश्रा (अतिरिक्त मुख्य सचिव, गृह विभाग):
- > “यह संशोधन नागरिक-केंद्रित, पारदर्शी और न्याय आधारित भूमि प्रशासन सुनिश्चित करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

















