Haryana: : हरियाणा में भाजपा सरकार अपने फैसलों को लेकर हमेशा सुखियों में रही है। नायब सैनी सरकार ने एक ऐसा निर्णय लिया है। ये निर्णय सरकारी कर्मचारियोंं को लेकर किसी झटके से कम नहीं है
जानिए क्या है नियम: बता दे नायब सैनी सरकार ने 50 साल से अधिक उम्र के ऐसे अधिकारियों और कर्मचारियों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने की तैयारी की है। इसी तैयारियो को लेकर अब ह हरियाणा में सभी विभागों में समीक्षा के लिए समितियां गठित की जाएंगी। इतना ही नही एक अपीलीय समिति भी बनाई जाएगी, जिसमें सेवानिवृत्ति के लिए चयन में आए लोगो की शिकायत सुनेगी।Haryana:
हाल ही में मुख्य सचिव डॉ. विवेक जोशी ने अधिकारियों की बैठक में निर्देश दिए कि 50 साल से अधिक उम्र के कर्मचारियों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने के मामलों की पहले समीक्षा की जाए। इतना हीं नी अदालत की अवमानना से जुड़े मामलों को भी प्राथमिकता के आधार पर निपटाने के निर्देश दिए गए हैं। हरियाणा में एक मुकदमेबाजी नीति (लिटिगेशन पॉलिसी) बनाई जा रही है, जिसे जल्द ही सरे चढा दिया जाएगा।Haryana:
जानिए क्या है मुकदमेबाजी नीति: बता दे कि मुकदमेबाजी नीति का उद्देश्य कर्मचारियों से जुड़े मामलों की संख्या को कम करना है। पांच साल तत्कालीन मनोहर लाल सरकार ने 50 साल से अधिक उम्र के कर्मचारियों की अनिवार्य सेवानिवृत्ति के लिए नीति में संशोधन किया था। हालाकि वो उस लागू नहीं हो पाया था।Haryana:
जानिए क्या है सेवानिवृति को लेकर नियम: बता दे जिन कर्मचारियों का काम तभी संतोषजनक माना जाएगा जब उनकी वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट (ACR) में पिछले 10 वर्षों में कम से कम 7 बार ‘अच्छा’ या ‘बहुत अच्छा’ का उल्लेख हो। जिन कर्मचारियों या अधिकारियों ने 25 साल की सेवा पूरी कर ली है और इस मानदंड को पूरा नहीं करते, उन्हें तो अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी ही जाएगी।
कौन करेगा समीक्षा और कैसी होगी
ग्रुप ए और बी के अधिकारियों की समीक्षा
विभागाध्यक्ष 50 वर्ष से अधिक उम्र के ग्रुप ए और बी श्रेणी के अधिकारियों के कार्य की समीक्षा करेंगे।
ग्रुप सी के कर्मचारियों की समीक्षा
55 वर्ष की उम्र के ग्रुप सी श्रेणी के कर्मचारियों के कार्य की समीक्षा की जाएगी।
क्यो लिया जा रहा ये नियम: बता दे कि इस फैसले का मुख्य उद्देश्य सरकारी तंत्र को अधिक कुशल और कार्यक्षम व मजबू बनाना है। इससे उन कर्मचारियों को बाहर करने का प्रयास किया जाएगा जो अपनी जिम्मेदारियों को ठीक से नहीं निभा रहे हैं। यानि कामचोर कर्मियो पर गाज गिरनी तय है।
कर्मचारियों पर प्रभाव: बता दे कि यह निर्णय कई कर्मचारियों के लिए चिंता का कारण बन सकता है। ऐसे कर्मचारी जो वर्षों से सरकारी सेवा में हैं, लेकिन विभिन्न कारणों से उनके प्रदर्शन में फिलहाल कमी आई है तो यह नीति उनके चुनौतीपूर्ण होगी।