बोर्डर खुलवाने की मांग को लेकर सीएम को भेजा पत्र
हरियाणा: सुनील चौहान। कृषि बिलो के विरोध मे दिल्ली-हरियाणा की सीमा टीकरी बॉर्डर बंद पर बैठे किसानो का असर अब औद्योगिक क्षेत्र पर पडने गला है। बोर्डर बंद होने से औद्योगिक क्षेत्र बहादुरगढ़ को 18 हजार करोड़ का नुकसान हो चुका है। लगातार 7 महीने से रास्ते बंद पड़े हैं और अब उद्योगपति परेशान हो चुके हैं। उद्योगपतिया ने एकजूट होकर मुख्यमंत्री मनोहर लाल के नाम पत्र भेजते हुए बोर्डर खुलवाने की मांग की है। उद्योगपतियों का कहना है कि अब हम दिवालिया होने की कगार पर आ गए हैं। इससे पहले की और नुकसान हो, रास्ते खुलवा दीजिए।
उद्योगपतियों ने कहा कि रास्ते बंद होने की वजह से फैक्ट्रियां बंद होने हो हैं। अगर ऐसा हुआ तो हजारों लोगों का रोजगार छिन जाएगा। टीकरी बॉर्डर पर एक तरफ किसानों की स्टेज लगी है तो दूसरी तरफ दिल्ली पुलिस के बैरिकेड लगे हैं। किसानों की स्टेज तक जाने का रास्ता तो खुला है, लेकिन उससे आगे दिल्ली पुलिस ने पक्की दीवार और कंटीले तार लगाकर रास्ता बंद किया हुआ है।
टीकरी बॉर्डर बंद होने से दिल्ली के व्यापारी बहादुरगढ़ व्यापार के लिए नहीं आ पा रहे हैं। ट्रांसपोर्ट खर्चा भी ट्रिपल हो गया है। उन्हें किसानों के आंदोलन से दिक्कत नहीं है, लेकिन बंद रास्तों से नुकसान बहुत हो रहा है। इसलिए मुख्यमंत्री महोदय से अपील है कि किसानों की समस्या का समाधान करके उन्हें राहत प्रदान करें या दिल्ली सरकार से बात करके रास्ते खुलवाकर हमें सहयोग करें।
9 हजार से ज्यादा इंडस्ट्रीज:
बहादुरगढ़ चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के वाइस प्रेसीडेंट विकास आनन्द सोनी ने बताया कि बहादुरगढ़ में बड़ी, छोटी और मध्यम इंडस्ट्री मिलाकर करीब 9 हजार फैक्ट्रियां हैं। इनमें साढ़े 7 लाख के करीब लोगों को रोजगार मिला हुआ है। अब चूंकि दिल्ली की सड़क बंद है तो दिल्ली से आने वाले कर्मचारी भी काम पर नहीं आ पा रहे हैं। जो व्यापारी सीधा फैक्ट्री आकर माल खरीदता था, वो भी नही आ रहा। प्रोडक्शन कॉस्ट और माल ढुलाई कॉस्ट बढ़ गई है। इसलिए उनकी मुख्यमंत्री से अपील है कि किसानों की नहीं तो उद्यमियों की पुकार सुन लो, ताकि कोरोना और आंदोलन के कारण बंद सड़कों से हुए नुकसान की भरपाई हो सके।
एशिया का सबसे बड़ा जूता मैन्युफैक्चरिंग हब:
बता दें कि बहादुरगढ़ देश का नहीं, एशिया का सबसे बड़ा जूता मैन्युफैक्चरिंग हब है। यहां से विदेश में भी हजारों करोड़ का माल एक्सपोर्ट होता है। कोरोना काल में जो राहत पैकेज केंद्र ने जारी किया था, यहां का उद्यमी उसे राहत की बजाय लोन पैकेज कहता है। उद्यमियों का कहना है कि फैक्ट्री का उत्पादन ठप्प है और ब्याज का मीटर धड़ाधड़ चल रहा है। ऐसे में उम्मीद अब मुख्यमंत्री से है, ताकि ठप्प पड़ा काम एक बार फिर से पटरी पर लौटे और पिछले नुकसान की भरपाई वो कर सकें।