E-tendering: 50 फीसदी महिला सरपंच धरने में शामिल क्यो नहीं? , क्या उनको नहीं है विरोध
हरियाणा: हरियाणा में सरपंच पदों पर 50 प्रतिशत महिला चुन कर आई है। लेकिन वह धरने पर नहीं है। तो क्या यह मान लिया जाए कि महिला सरपंचों को सरकार के ई-टेंडरिंग से कोई दिक्कत नहीं है। अगर है तो उनके पति ने कब्जा किया है। ऐसे क्यो!Father son gang: रेवाडी से 13 बैट्री चोरी करने वाला नूंह में दबोचा
पंचकूला में सरपंचों के आंदोलन का 80 घंटे हो चुके है। एक सवाल धरने को देख कर बार बार उठ रहा है कि क्यों यहां महिला सरपंच एक भी नहीं है। यानी की सरपंच पदों पर 50 प्रतिशत महिला चुन कर आई है। लेकिन वह धरने पर नहीं है।
पतियो ने संभाला मोर्चा: इस सवाल को जैसे ही धरना स्थल पर सरपंचों के सामने उठाया तो वह तुरंत बचाव की मुद्रा में आ जाते हैं। एक व्यक्ति ने खुद को महिला सरपंच का पति बताते हुए दावा किया कि वह क्यों आएगी धरने पर ? हम है ना…? आप क्यों आप तो सरपंच नहीं है। तो क्या हुआ, उनके पति है। वह क्यों आएगी धरने पर। यह काम तो पुरूषों का है।
धरने पर मौजूद महिला सरपंच एसोसिएशन की राष्ट्रीय अध्यक्ष और सरपंच एसोसिएशन की प्रदेश उपाध्यक्ष सिरसा जिले की संतोष बेनीवाल ने कहा कि महिलाओं को घर के बहुत सारे काम करने पड़ते हैं। इसलिए वह यहां नहीं आ सकती है।
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वह अपना उदाहरण देती है, कि वह यहां आयी है, क्योंकि उन पर इस तरह की पारिवारिक बंदिश नहीं है। यह स्थिति सभी महिला सरपंचों के साथ नहीं है।
अधिकाश सरपंचो के प्रधान महिला: अधिकाश ब्लॉक में सरपंच एसोसिएशन की प्रधान महिला है। धारूहेडा मे महिला प्रधान हैं वह तो कभी बीडीपीओ आफिस पर पर भी नहीं गइ है।इस महिलाओ को इस धरने से दूर रहने से कहीं न कही सरपंचो की ताकत का कम कर रहा है।
क्या महिला सरपंच सरकार की ई-टेंडरिंग पॉलिसी से खुश है, या नहीं, इस सवाल पर उनके प्रतिनिधियों ने बताया कि वह भी नाखुश है। वह भी विरोध कर रही है, तभी हम यहां आए हैं।
यदि महिला विरोध में है तो उन्हें स्वयं अपना विरोध दर्ज कराना चाहिए, कम से कम उन्हें खुल कर अपनी बात रखने का मौका तो मिलना चाहिए। धरने पर कुछ समय के लिए तो वह आ सकती है।
यदि वह सरकार की इस नीति से नाखुश है। लेकिन इस तरह के सवालों का महिलाओं के सरपंच पति कोई जवाब नहीं देते। वह बातचीत बंद कर देते हैं।