दिल्ली : भारत- पाकिस्तान के बंटवारे के दौरान बिछड़े दो सिख भाइयों का परिवार 75 वर्ष बाद सोशल मीडिया की मदद से मिले। दोनों भाइयों का परिवार जब एक दूसरे से मिला तो भावुक हो गए। दोनो ने खुशी होकर एक दूसरे से दिल की बात की है।Haryana News: विकास कार्यो में गोलमाल, 1491 पंचायत रेडार पर, जानिए देखे जिलावाईज सूची
जानिए किस गांव में रहते है वो
गुरूदेव सिंह और दया सिंह बंटवारे से पहले हरियाणा के महेंद्रगढ़ जिले के गोमला गांव में रहते थे। पिता के देहांत के बाद दोनों पिता के दोस्त करीम बख्श के घर में रहने लगे।
इन दोनों भाइयों में गुरदेव सिंह बड़े थे और दया सिंह छोटे हैं। बंटवारे के समय करीब बख्श गुरदेव सिंह के साथ पाकिस्तान चले गए जबकि दया सिंह अपने मामा के साथ भारत में ही रह गए थे।
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पिछले साल भी मिले थे दो भाई
पिछले साल भी बंटवारे के दौरान बिछड़े दो भाई पाकिस्तान के 80 वर्षीय मुहम्मद सिद्दीकी और भारत के 78 वर्षीय हबीब जनवरी 2022 में करतारपुर कॉरिडोर में मिले थे। गुरुद्वारा श्री दरबार साहिब दुनिया का सबसे बड़ा गुरुद्वारा है जो भारत- पाकिस्तान सीमा से 5 किमी की दूरी पर स्थित है।
गुरुद्वारा उस जगह पर मौजूद है, जहां सिख धर्म के संस्थापक श्री गुरु नानक देव जी रुके थे। करतारपुर कॉरिडोर एक वीजा- मुक्त धार्मिक जगह है जो पाकिस्तान में गुरुद्वारा श्री दरबार साहिब और भारत में गुरुद्वारा श्री डेरा बाबा नानक को जोड़ता है।
पाकिस्तान पहुंचने के बाद गुरदेव सिंह लाहौर से लगभग 200 किमी दूर पंजाब प्रांत के झांग जिले में शिफ्ट हो गए। वहां पहुंचने के बाद उन्हें गुलाम मोहम्मद के नाम से एक नई पहचान मिली।
उन्होंने अपने बेटे का नाम मोहम्मद शरीफ रखा। इस बीच गुरदेव सिंह ने भारत सरकार को कई चिट्ठियां लिखकर भाई दया सिंह को ढूंढने की अपील की। कुछ दिन पहले उनकी मौत हो गई।
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मुहम्मद शरीफ ने भारत सरकार से आग्रह किया कि उनके परिवार के सदस्यों को यहां वीजा दिया जाए ताकि वे हरियाणा में अपने पुश्तैनी घर जा सकें।
गुरदेव के बेटे मुहम्मद शरीफ ने बताया कि छह महीने पहले चाचा दया सिंह को सोशल मीडिया के माध्यम से ढूंढने में कामयाब रहे। उन्होंने कहा कि दोनों परिवारों ने पुनर्मिलन के लिए करतारपुर साहिब पहुंचने का फैसला किया।