Political News: जनाब!मैं भी हूँ उम्मीदवार, रेवाडी से भाजपा में लंबी होती जा रही है दावेदारों की सूची
जनाधार विहीन छुट भैये नेता भी मांग रहे हैं भाजपा से टिकट
रेवाड़ी: प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए तो अभी 1 वर्ष से अधिक का समय शेष है लेकिन रेवाड़ी विधानसभा पर सरगर्मी ऐसी दिख रही है कि मानो चुनाव में टिकटों का वितरण हो रहा हो। हर पत्थर के नीचे से भावी उम्मीदवार निकल रहा है।
हालांकि दावेदारी जताना गलत नहीं है लेकिन दावेदारी जताने से पूर्व अपना मूल्यांकन भी करना जरूरी है। ऐसे ऐसे नेता दावेदारी जता रहे हैं जिनके पीछे अपना खुद का परिवार भी नहीं खड़ा हुआ। मजेदार बात तो यह है कि रेवाड़ी विधान सभा क्षेत्र से कांग्रेस पार्टी से कोई दावेदारी नहीं जता रहा।खाते में नहीं है पैसा तो भी होगी UPI से पेमेंट, जानिए कैसे उठाए फायदा
सब यह मानकर चल रहे हैं कि इस सीट पर तो मात्र एक ही परिवार का कब्जा है था और रहेगा । वहीं दूसरी ओर भाजपा में दावेदारी जताने वालों की लंबी फेहरिस्त है। गत विधानसभा चुनाव में मात्र कुछ सौ वोटों से हारने वाले सुनील मूसेपुर दोबारा से इस सीट पर प्रभावी तरीके से अपनी दावेदारी जता रहे हैं तो वही दिल में विधायक बनने का सपना पाले सतीश खोला, कोसली के वर्तमान विधायक लक्ष्मण सिंह यादव, अरविंद यादव, अमित यादव, मुकेश कापड़ीवास, सनी यादव, अनिल रायपुर, सहित दर्जनों और ऐसे नाम है जो दावेदारी जता रहे हैं।
दावेदारी जताने वालों में 1-2 का ही अपना कुछ जनाधार है बाकी बिना जनाधार वाले ही नेता हैं। ऐसे नेता अपनी दावेदारी जताकर मात्र जनता का ध्यान अपनी और आकर्षित करना चाह रहे हैं। कुछ माह पूर्व केंद्रीय मंत्री राव इंदरजीत सिंह ने अपने एक समर्थक की जनसभा में मात्र इतना ही कहा था कि सुनील मूसेपुर की हार हमारी कार्यकर्ताओं की गलतियों से नहीं बल्कि भाजपा के जयचंदो के कारण हुई थी ।सरेंडर कर सकता है अमृतपाल, अकाली दल की बैठक पर टिकी पुलिस की निगाहें
राव के इस बयान के बाद छूट भैये नेताओं में यह दिखाने की होड़ मच गई की हार के लिए में ही जयचंद था हालांकि राव ने किसी नेता का नाम भी नहीं लिया था लेकिन भाजपा के कई नेता अपने आप को जयचंद दिखाने का लगातार प्रयास करते रहे। ऐसे नेताओं की एकमात्र ख्वाहिश थी कि राव अपने मुंह से उसका नाम ले दे की जयचंद वहीं था।
ऐसे नेताओं का मानना था कि अगर राव अपने मुंह से नाम लेते हैं तो वे पक्के के नेता माने जाएंगे। अब उन्हीं नेताओं में दावेदारी जताने की होड़ लग गई है। जनाधार विहीन नेता लगातार सोशल मीडिया पर अपनी दावेदारी जता रहे हैं। जनता चुप होकर सब तमाशा देख रही है।