शिक्षा के नाम ‘सैनिक जेल’, बचपन व खुशिया छीनी, सिर्फ कमाने का जरिया ?

SAINIK SCHOOL

हरियाणा: रेवाड़ी के सैनिक स्कूल की तीसरी मंजिल से छलांग लगाकर खुदकुशी करने वाले 11वीं कक्षा के स्टूडेंट जतिन की मौत का अब तूल पकडने लगा है। छात्र के पास से पुलिस को एक सुसाइड नोट मिला है।Breaking news: प्लास्टिक के क्रेडिट व डेबिट कार्ड से छुट्टी

सैनिक स्कूल जेल से कम नहीं

सैनिक स्कूल शिक्षा के नाम पर जेल है। ऐसी जिंदगी का क्या फायदा। सुसाइड नोट में जतिन ने मौत से पहले खुद के दर्द को बयां किया है। परिजनों के बयान पर कुंड चौकी पुलिस ने आत्महत्या के लिए मजबूर करने का केस भी दर्ज कर लिया है।

SAINIK SCHOOL REWARI

मेरे साथ हुआ धोखा

हर किसी के वश में ऑफिसर बनना भी नहीं है। मैंने कहा था मुझे यहां से निकाल लो मगर नहीं निकाला गया। दोस्तों ने भी धोखा दिया। इसलिए तंग आ चुका हूं।’

स्कूल में मिले सुसाइड नोट में जतिन ने लिखा कि ‘मैं स्कूल में परेशान हो चुका हूं। यहां का माहौल अच्छा नहीं है। टीचर सही नहीं पढ़ाते। यहां सब कुछ पैसे खाने-कमाने में लगे हैं। हर किसी के वश में ऑफिसर बनना भी नहीं है। मैंने कहा था मुझे यहां से निकाल लो मगर नहीं निकाला गया। दोस्तों ने भी धोखा दिया। इसलिए तंग आ चुका हूं।’Haryana Weather Alert : 35 शहरों में बारिश का अलर्ट, यहां देखें आपके शहर का मौसम

जांच के आदेश, गिर सकती है गाज

लोकल बोर्ड ऑफ एडमिनिस्ट्रेशन (प्रशासन बोर्ड) दिल्ली के चेयरमैन ने जांच के आदेश दिए हैं। वहीं इकलौते बेटे की मौत के बाद पूरा परिवार सदमे में है। अब डर इस बात का है कि सैनिक कई ऐसे बच्चे ओर हो सकते है जो माता पिता के दबाव के चलते यहां क्यो नहीं पढ रहे है।

इस मामले में पुलिस की जांच के अलावा सैनिक स्कूल प्रशासन बोर्ड की ओर से भी जांच के आदेश दे दिए गए हैं। क्योंकि सुसाइड केस में परिजनों ने स्कूल प्रशासन पर भी गंभीर आरोप लगाए हैं।

मिलने तक नहीं देते नहीं
अगर कोई माता पिता बेटे से मिलने आते है तो मिलने तक नहीं दिया जाता है। शिक्षा के नाम पर सैनिको के जेल में बच्चो का बचप्न व ​खुशिया दफन हो रही है। ऐसा कोई पहले मामला नहीं है। पहले कई सस्थानो के ऐसे केस मिले है।Haryana Weather Alert : 35 शहरों में बारिश का अलर्ट, यहां देखें आपके शहर का मौसम

 

दाखिला लेने से पहले बच्चो की हो काउंस​लिंग
बच्चो को जब दाखिला दिया जाता है तो उसके अतिम साक्षात्कार के समय काउंसिंग अवश्य होनी चाहिए। क्या बच्चे की रूचि है या नही। ऐसे कुछ हद से फोस्ट की स्थिति का पता चलेगा तथा इस तरह जान देने वाले आकंडो में कमी आएगी।