हरियाणा: रेवाडी जिले के बावल कृषि अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिकों की देखरेख में सरसों की नई किस्म आरएच-725 का 93 क्विंटल बीज तैयार किया गया है। यह बीज हरियाणा के साथ साथ यूपी व राजस्थान मे भी भेजा जाएगा। इस बीच में ऐसी क्या खासियत जो दूसरो राज्यों में मांग है। आइए इस लेख के माध्यम से पूरी जानकारी दी जाएगी।केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आएंगे रोहतक, पुलिस ने की कडी सुरक्षा
रिसर्च सेंटर के निदेशक डॉ. धर्मबीर यादव ने बताया कि रिसर्च सेंटर में आरएच-725 किस्म का सरसों का बीज 93 क्विंटल तैयार किया गया है। पिछले वर्ष यह बीज यूपी के मुज्जफरनगर और बागपत कृषि विज्ञान केंद्र ने अलग-अलग 1 क्विंटल 40 किलोग्राम, इटावा ने 2 क्विंटल मंगाया था। इसी तरह बिहार के भोजपुर (आरा) केवीके ने साढ़े 3 क्विंटल, नवादा ने एक क्विंटल और राजस्थान के बीकानेर जिले के लुणकरणसर कृषि विज्ञान केंद्र ने 2 क्विंटल बीज मंगाया था।
हालांकि यह बीज 125 क्विंटल तैयार करने का लक्ष्य था। इस बीज की मांग हरियाणा के अलावा राजस्थान और उत्तर प्रदेश के कृषि विज्ञान केंद्रों ने भी की है। दोनों राज्यों को कितना बीज भेजना है, यह हरियाणा के जिलों की मांग के बाद ही तय किया जाएगा।
हरियाणा ने मांगा बीज : हरियाणा के दक्षिणी जिलों में रेवाड़ी के साथ ही महेंद्रगढ़, गुड़गांव, झज्जर व भिवानी में भी बावल रिसर्च सेंटर से बीज उपलब्ध कराया जाता है। इस वर्ष भी कई जिलों से मांग आई है। रिसर्च सेंटर बावल से भी किसान सरसों का यह नया बीज लेकर जा सकते हैं।
बताया कि इसके अलावा सरसों के दो नए किस्म आर-1424 व आरएच-1706 के बीज तैयार किए जाएंगे लेकिन ये बीज बिजाई के लिए किसानों को अगले साल में मिलेगा। बताया कि इस बार हरियाणा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी हिसार की ओर से प्रमाणित नई किस्म आर-1424 व आरएच-1706 के बीज का उत्पादन किया जाएगा।
अगले वर्ष ये दोनों किस्में किसानों को उपलब्ध हो जाएंगी। सेंटर में 2 एकड़ से 3 एकड़ में इनकी बिजाई की जाएगी। इसमें करीब 15 क्विंटल नई स्कीम का बीज तैयार करने का लक्ष्य है। इसमें 1706 किस्म के तेल की गुणवत्ता अच्छी है। इस सरसों के तेल को एक्सपोर्ट भी किया जा सकता है।Rewari: बिजली निगम विभाग की फिर हुई किरकरी, अदालत ने सुनाया ये फैसला ?
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दो नए किस्म के बीजों की अलग-अलग विशेषताएं
हिसार स्थित चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कृषि विशेषज्ञ राम अवतार सिंह ने बताया कि सरसों के नए किस्म का आर-1424 बीज हरियाणा, दिल्ली, उत्तरी राजस्थान, पंजाब और जम्मू के बारानी क्षेत्रों में समय पर बिजाई के लिए बहुत उपयुक्त है।
इसे हरियाणा, दिल्ली, उत्तरी राजस्थान, पंजाब और जम्मू की समय पर बुआई की सिंचित स्थितियों के लिए अनुशंसित किया गया था। इसके पौधे की ऊंचाई मध्यम है, शाखाएं अधिक हैं और बीज मध्यम आकार के हैं। इसकी औसत बीज उपज 10.5-11.5 क्विंटल प्रति एकड़ है। इसमें 38.0 प्रतिशत तेल की मात्रा होती है। इस बीज से किसान अपनी आमदनी बढ़ा सकते हैं और इसका तेल स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक है।Rewari: बिजली निगम विभाग की फिर हुई किरकरी, अदालत ने सुनाया ये फैसला ?
इसकी लंबी शाखाएं, लंबी व मोटी फलियां और मोटे बीज होते हैं। इसकी औसत बीज उपज 10.5-11.0 क्विंटल प्रति एकड़ है। इसके बीजों में 40.5 प्रतिशत तेल की मात्रा होती है। जबकि आरएच 1706 किस्म के बीज का तेल गुणवत्ता से भरपूर है। इसके तेल में 2.0 प्रतिशत से कम इरुसिक एसिड होता है जो अन्य पारंपरिक किस्मों में लगभग 40 प्रतिशत होता है।