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Breaking News : देश में खाद का संकट क्यों ! जानिए कैसे खाद किसान तक पहुंचता है ?

On: October 30, 2025 9:45 PM
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Why is there a fertilizer crisis in the country? Know how fertilizer reaches the farmers?

Breaking News: देश के कई हिस्सों से डीएपी न मिलने की खबरें आ रही हैं. ऐसा हर साल होता है. इस समस्या के पीछे अनेक कारण हैं। जानिए, देश में डीएपी जैसी खादों का संकट क्यों पैदा होता है, भारत कहां से इसे मंगाता है, कैसे बनती है, कितना उत्पादन है और कितनी खपत ।Breaking News

Breaking News कैसे किसानों तक पहुंचती है?
देश में निर्मित डीएपी या विदेशी शिपमेंट पोर्ट पर उतरने के बाद कम्पनियों/पीएसयू के प्लांट/ब्लेंडिंग यूनिट तक जाता है. यहां से राज्यवार और जिला स्तर के गोदामों में आवंटन भेजा जाता है. जिला-स्तर से सहकारी समितियों (PACS), कृषि उपज मंडियों के डिपो, अधिकृत डीलर तक स्टॉक पहुंचता है. किसान सब्सिडी पर खाद खरीदता है.DAP-Fertilizer Shortage In India

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इसके लिए उसे अनेक सरकारी औपचारिकताओं से गुजरना होता है. इस वजह से भी दिक्कत होती है. नमी, ढुलाई के दौरान नुकसान कम रखने और के लिए अनेक उपाय अपनाए जा रहे हैं, फिर भी असमानता है.Breaking News

हरियाणा में रबी फसल की बुवाई के बीच किसानों को डीएपी खाद की भारी किल्लत का सामना करना पड़ रहा है। किसानों का आरोप है कि सरकारी डीएपी खाद को खुलेआम ऊंचे दामों पर बेचा जा रहा है । इनता ही नहीं किसानों का यह भी आरोप है कि जिले का खाद स्टॉक राजस्थान व मेवात भेजा जा रहा है, जहां मुनाफाखोर इसे ब्लैक मार्केट में बेच रहे हैं।

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कृषि विभाग ने इन आरोपों को खारिज किया है। कृषि अधिकारी अनिल लांबा ने कहा कि इस बार जिले को पहले से भी अधिक डीएपी आवंटित हुई है और किसी तरह की कमी नहीं है। उन्होंने बताया कि कई किसान जरूरत से ज्यादा डीएपी पहले ही खरीदकर स्टॉक कर लेते हैं, जिससे अस्थायी संकट का आभास होता है।

इससे सरसों और गेहूं जैसी मुख्य फसलों की बुवाई प्रभावित हो रही है। किसानों का कहना है कि सरकारी दर 1,350 रुपये प्रति बोरी तय है, लेकिन बाजार में यह 1,800 रुपये तक में बेचा जा रहा है। कई किसानों ने बताया कि सुबह से सरकारी वितरण केंद्रों पर लाइनें लगती हैं, परंतु दोपहर तक स्टॉक खत्म हो जाता है।Breaking News

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कई ग्रामीण इलाकों में किसान यूरिया की जगह नैनो खाद की बोतलें दिए जाने की भी शिकायत कर रहे हैं। किसानों का कहना है कि बगैर डीएपी खाद के सरसों और गेहूं की अच्छी पैदावार की उम्मीद नहीं की जा सकती। उन्होंने प्रशासन से कालाबाजारी पर सख्त कार्रवाई और खाद की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करने की मांग की है।Breaking News

 

Sunil Chauhan

मै पिछले दस साल से पत्रकारिता में कार्यरत हूं। जल्दी से जल्दी देश की की ताजा खबरे को आम जनता तक पहुंचाने के साथ समस्याओं को उजाकर करना है।

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