रेवाडी: स्कूलों की ओर से वोकेशनल कोर्स शुरू कराने के लिए प्रयास नहीं किए गए, लेकिन विभागीय नियमों व अधिकारियों की सुस्ती के कारण सत्र 2016-17 के बाद से किसी नए राजकीय स्कूल में वोकेशनल कोर्स शुरू नहीं हो पाए हैं। ऐसे में वोकेशनल कोर्स में दाखिले के इच्छुक सैकड़ों छात्रों वंचित रह जाते हैं।
केंद्र व प्रदेश सरकार की तरफ से कौशल विकास को लेकर लगातार कदम उठाए जा रहे हैं, लेकिन पिछले पांच सालों से जिले के किसी नए राजकीय स्कूल में वोकेशनल कोर्स शुरू नहीं हुआ है।
ऐसा नहीं है कि स्कूलों की ओर से वोकेशनल कोर्स शुरू कराने के लिए प्रयास नहीं किए गए, लेकिन विभागीय नियमों व अधिकारियों की सुस्ती के कारण सत्र 2016-17 के बाद से किसी नए राजकीय स्कूल में वोकेशनल कोर्स शुरू नहीं हो पाए हैं। कुछ स्कूल विद्यार्थी कम होने के चलते अपने यहां एक कोर्स शुरू कराना चाहते हैं, लेकिन कम से कम दो कोर्स शुरू करने तथा एक कोर्स में छात्र संख्या 40 रखने की शर्त के कारण भी यह समस्या बनी हुई है।
40 स्कूलो चल रहे कोर्स: जिला रेवाडी में राष्ट्रीय कौशल योग्यता फ्रेमवर्क (एनएसक्यूएफ) के तहत फिलहाल 40 राजकीय स्कूलों में वोकेशनल कोर्स चल रहे हैं, जिसमें रेवाड़ी खंड में 17, बावल में नौ, खोल में सात, जाटूसाना में तीन तथा नाहड़ खंड में चार स्कूल शामिल हैं। इन स्कूलों में संचालित वोकेशनल कोर्स में सात हजार से अधिक विद्यार्थी अध्ययनरत हैं। विद्यार्थियों की संख्या से वोकेशनल कोर्स के प्रति बढ़ते विद्यार्थियों के रूझान का सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है।
स्कूलों में चल रहे ये कोर्स: एनएसक्यूएफ के तहत जिले के 40 स्कूलों में आटोमोबाइल, ब्यूटी वेलनेस, आइटी, रिटेल, बैंकिग एंड फाइनेंस, हेल्थ केयर, फिजिकल एजुकेशन, कृषि, प्राइवेट सिक्योरिटी सहित नौ वोकेशनल कोर्स चल रहे हैं, जिसमें प्रत्येक स्कूल में दो-दो कोर्स चल रहे हैं। जबकि केवल राजकीय स्कूल पीथड़ावास में तीन वोकेशनल कोर्स चल रहे हैं। आटोमोबाइल वोकेशनल कोर्स में 380 विद्यार्थी, ब्यूटी वेलनेस 1374, आइटी में 2862, रिटेल में 343, बैंकिग एंड फाइनेंस में 265, हेल्थ केयर में 1018, फिजिकल एजुकेशन में 858, कृषि में 61 तथा प्राइवेट सिक्योरिटी में 116 विद्यार्थियों सहित कुल 7270 विद्यार्थी अध्ययनरत हैं।
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वोकेशनल कोर्स के लिए अब संबंधित विद्यालय निदेशालय की वेबसाइट पर सीधा आनलाइन आवेदन कर सकते हैं। वहीं से वोकेशनल कोर्स के लिए अनुमति दी जाती है। स्थानीय स्तर के अधिकारियों का इसमें कोई ज्यादा रोल नहीं होता है।
– राजकुमार, सहायक परियोजना संयोजक समग्र शिक्षा