Tokyo Olympic Bronze Medal Winner Wrestler Bajrang Punia: पैतृक गांव खड्डन पहुंचे पहलवान बजरंग पूनिया, सीएम मनोहर लाल ने सम्मान समारेाह में ढाई करोड राशि देने की घोषणा

हरियाणा: सुनील चौहान। जापान के टोक्यो में आयोजित ओलिंपिक गेम्स 2020 में ब्रॉन्ज मेडल जीतकर लौटे पहलवान बजरंग पूनिया के सम्मान में भारी संख्या में भीड उमडी। । रविवार को उनके गांव पहुचने पर उनके पैतृक गांव झज्जर जिले के खड्डन में सम्मारोह आयोजित किया गया। इस समारोह में प्रदेश के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्‌टर भी शामिल हुए।

 

पूनिया के लिए मुख्यमंत्री का बड़ा ऐलान
पहलवान बजरंग पूनिया को टोक्यो ओलिंपिक में ब्रॉन्ज मेडल जीतने पर 2.5 करोड़ की राशि नकद इनाम में दी जाएगी। साथ ही सरकारी नौकरी और एक प्लॉट भी 50% के कंसेशन पर मिलेगा। उनके खुड्डन गांव में एक इंडोर स्टेडियम बनाया जाएगा। यह घोषणा प्रदेश के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने की।

बजरंग पूनिया की जीत से अभिभावक बेहद खुश हैं।
बजरंग पूनिया की जीत से अभिभावक बेहद खुश हैं।

नंबर वन रह चुके हैं बजरंग पूनिया
बजरंग पूनिया किसी भी श्रेणी में दुनिया के नंबर 1 पहलवान बनने वाले पहले भारतीय हैं। इसके अलावा दो विश्व चैंपियनशिप पदक और प्रसिद्ध जर्मन लीग में कुश्ती करने वाले भी पहले भारतीय हैं। हरियाणा के झज्जर जिले के साधारण परिवार से आने वाले बजरंग पूनिया के पास शुरुआत में क्रिकेट और बैडमिंटन के सामान खरीदने के पैसे नहीं होते थे। उस समय बच्चे कबड्डी और रेसलिंग में बहुत रुचि रखते थे और पूनिया के गांव में इसका प्रचलन था। हालांकि उनके पिता बलवान सिंह भी रेसलर थे और युवा बजरंग उनकी कुश्ती देखने के लिए स्कूल तक छोड़ देते थे। बजरंग ने कहा भी था कि मुझे नहीं पता कि कब कुश्ती मेरी जिंदगी का हिस्सा बन गई।

 

कॉमनवेल्थ में जीते दो मेडल
बजरंग कॉमनवेल्थ गेम्स में दो मेडल जीत चुके हैं। 2018 में गोल्ड कोस्ट में उन्होंने 65 किलो वेट में गोल्ड जीता। 2014 ग्लासगो कॉमनवेल्थ गेम्स में उन्होंने सिल्वर मेडल अपने नाम किया।

एशियन गेम्स में भी दो मेडल
बजरंग दो बार एशियन गेम्स में मेडल हासिल कर चुके हैं। उन्होंने 2018 जकार्ता में 65 किलो वेट में गोल्ड जीता और 2014 इंचियोन में 61 किलो वेट में सिल्वर।

विरासत में मिली पहलवानी
बजरंग पूनिया का जन्म 26 फरवरी 1994 को हरियाणा के झज्जर गांव में हुआ। इनके पिता का नाम बलवान सिंह पूनिया है। इनके पिता एक पेशेवर पहलवान हैं। इनकी माता का नाम ओम प्यारी है। इनके भाई का नाम हरिंदर पूनिया है। बजरंग को कुश्ती विरासत में मिली। इनके परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर थी। बजरंग की प्रारंभिक शिक्षा गांव में ही पूरी हुई।

टोक्यो ओलिंपिक में पहलवान से भिड़ते बजरंग पूनिया।
टोक्यो ओलिंपिक में पहलवान से भिड़ते बजरंग पूनिया।

ओलिंपिक खेलने से पहले रोम में गोल्ड जीता
बजरंग पूनिया ने सोनीपत में स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (SAI) के रीजनल सेंटर से ट्रेनिंग की है। उनका परिवार भी सोनीपत में रहता है। इसी साल मार्च में रोम में हुई माटेओ पेलिकोन रैंकिंग सीरीज में गोल्ड जीतकर बजरंग पूनिया ने यह जता दिया कि वे ओलिंपिक के लिए तैयार हैं। बजरंग वर्ल्ड अंडर-23 चैंपियनशिप, कॉमनवेल्थ गेम्स, एशियन गेम्स, एशियन चैंपियनशिप और वर्ल्ड चैंपियनशिप में मेडल जीत चुके हैं। उन्हें पद्मश्री, अर्जुन पुरस्कार और खेल रत्न से सम्मानित किया जा चुका है।

2013 में वर्ल्ड चैंपियनशिप में जीता पहला मेडल
बजरंग ने सीनियर लेवल पर अपना पहला वर्ल्ड चैंपियनशिप मेडल 2013 में 60 किलोग्राम वेट कैटेगरी में जीता था। उन्होंने हंगरी में हुए इस टूर्नामेंट में ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया। 2018 में उन्होंने बुडापेस्ट में हुई वर्ल्ड कुश्ती चैंपियनिशप में सिल्वर जीता। 2019 में भी नूर सुल्तान में हुई वर्ल्ड चैंपियनशिप में बजरंग ने सिल्वर मेडल जीता।

एशियन चैंपियनशिप में अब तक सात मेडल
बजरंग एशियन कुश्ती चैंपियनशिप में अब तक 7 मेडल जीत चुके हैं। उन्होंने इस साल अल्माटी में हुई एशियन चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल जीता था। इससे पहले 2020 में दिल्ली में और 2014 में अस्ताना में हुई चैंपियनशिप में भी उन्होंने सिल्वर मेडल जीता था। 2019 में शिआन और 2017 दिल्ली में गोल्ड मेडल हासिल किया। 2018 बिश्केक और 2013 दिल्ली में उन्हें ब्रॉन्ज मेडल से संतुष्ट होना पड़ा था।

कॉमनवेल्थ में जीते दो मेडल
बजरंग कॉमनवेल्थ गेम्स में दो मेडल जीत चुके हैं। 2018 में गोल्ड कोस्ट में उन्होंने 65 किलो वेट में गोल्ड जीता। 2014 ग्लासगो कॉमनवेल्थ गेम्स में उन्होंने सिल्वर मेडल अपने नाम किया।

एशियन गेम्स में भी दो मेडल
बजरंग दो बार एशियन गेम्स में मेडल हासिल कर चुके हैं। उन्होंने 2018 जकार्ता में 65 किलो वेट में गोल्ड जीता और 2014 इंचियोन में 61 किलो वेट में सिल्वर।