REWARI: मौत के सायें में जी रहे डाककर्मी ?

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बावल।  कस्बे में 29 वर्ष से किराये के जर्जर भवन में डाकघर चल रहा है। डाककर्मी जान हथेली पर रखकर अपनी ड्यूटी करने को मजबूर हैं। भवन की बदहाल स्थिति के बारे में उच्च अधिकारियों को कई बार पत्र भेजा जा चुका है, लेकिन इस संबंध में कोई कदम नहीं उठाया जा रहा है।रेवाड़ी शादी में आए गुरूग्राम के दो युवकों को लगा करंट, छाया मातम

छत से टपकता है पानी: बरसात के मौसम में छत भी टपकती रहती है। इससे डाकघर का रिकॉर्ड भीग कर खराब होता रहता है। यहां आसपास के 75 गांवों के लोगों की आवाजाही रहती है। यहां सरकारी विभागों की 20 डाक का संचालन होता है। भवन जर्जर हालत में होने के कारण इसका प्लास्टर टूट कर गिरने लगा है।

कस्बे के मुख्यालय स्थित डाकघर का किराया प्रतिमाह 960 रुपये है। डाकघर में कार्य भी ज्यादा होता है। रोजाना 400 से 500 डाक आते हैं। कुल मिलाकर, भवन की हालत जर्जर होने से ठीक से काम भी नहीं हो पाता है। बताया जा रहा है कि भवन किसी संस्था के नाम है। इसलिए इसकी देखरेख नहीं हो रही है।

 

महिला कर्मियों के लिए शौचालय नही: डाकघर में शौचालय की सुविधा तक नहीं है। इससे महिला कर्मियों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। शौचालय की व्यवस्था को लेकर अधिकारियों को भी अवगत कराया जा चुका है, मगर भवन में जगह न होने का हवाला देकर इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है।Hero Electric AE-8: ये है विश्व का सबसे सस्ता स्कूटर, जल्द होगा भारत में लांच, एक बार चार्ज में भरेगा 85 किलोमीटर की उडान

डाक कर्मियों ने बताया कि एक बार नगर पालिका के भवन में डाकघर को स्थानांतरित करने की चर्चा चली थी, लेकिन किराये को लेकर दोनों विभागों में सहमति नहीं बन सकी। डाककर्मियों ने बताया कि बारिश के मौसम में छत टपकती है और प्लाॅस्टर टूट कर गिरता रहता है। जिससे कभी भी छत टूट कर गिर सकती है। उच्च अधिकारियों को भी इस बारे में कई बार अवगत कराया जा चुका है।