रेवाड़ी: सुनील चौहान। उपायुक्त यशेन्द्र सिंह ने कहा कि सभी विभागाध्यक्ष सेवा का अधिकार अधिनियम के तहत अपने विभाग से संबंधित सभी सेवाएं निर्धारित तय समय सीमा के अंदर आवेदक को उपलब्ध कराना सुनिश्चित करें, एक्ट के तहत निर्धारित तय समय सीमा में सेवाएं उपलब्ध न करवाने पर संबंधित विभागाध्यक्ष पर जुर्माना हो सकता है।
उपायुक्त यशेन्द्र सिंह शुक्रवार को जिला सचिवालय सभागार में सेवा का अधिकार अधिनियम के तहत आयोजित कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए विभागाध्यक्षों व उनके प्रतिनिधियों को संबोधित कर रहे थे। कार्यशाला में विभिन्न विभागों के अधिकारियों व कर्मचारियों को प्रोजेक्टर के माध्यम से प्रशिक्षण दिया गया।
उपायुक्त ने कहा कि हरियाणा सरकार ने सेवा का अधिकार अधिनियम 2014 के तहत राज्य में 38 विभागों की 522 सेवाएं व योजनाएं अब आरटीएस के दायरे में है। यह अधिनियम योग्य लाभपात्रों को सेवाओं की डिलीवरी तथा संबंधित मामलों के निश्चित समय अवधि में निपटान के लिए बनाया गया है। राईट टू सर्विस एक्ट के तहत अधिकारियों की जिम्मेदारी तय की गई है कि वे तय समय सीमा के अंदर-अंदर लोगों को सेवा प्रदान नहीं करते हैं तो उनके खिलाफ कार्यवाही की जा सकती है। सभी विभागाध्यक्ष यह सुनिश्चत करें कि योग्य लाभार्थियों को ही सेवाओं का लाभ दिया जाए। विभागाध्यक्ष उनके विभाग से संबंधित सेवाओं के लिए आवेदक को तय समय से पहले सेवा देने का प्रयास करें।
उपायुक्त ने कहा कि सेवा के अधिकार अधिनियम के तहत जिन सेवाओं का उल्लेख किया गया है उनसे संबंधित सम्पूर्ण जानकारी सेवा प्राप्त करने का आवेदन पत्र तथा साथ संलग्र किए जाने वाले दस्तावेजों आदि के बारे में सूचना संबंधित अधिकारी द्वारा अपने कार्यालय के सूचना पट्ट पर अथवा अन्य तरीके से सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित की जाए। इसी प्रकार सरल व अंत्योदय सरल केन्द्रों पर भी विभागों की दी जाने वाली सेवाओं व योजनाओं को प्रदर्शित किया जाए ताकि आम जनता को यह पता चल सके की उन्हें कितनें दिनों में वह सेवा उपलब्ध होगी। उन्होंने सेवा से जुड़ी सूचना जैसे अधिनियम में निर्धारित समय सीमा, आवेदन पत्र तथा दस्तावेज आदि की जानकारी वैबसाईट पर अपडेट करने के निर्देश भी दिए। उन्होंने कहा कि जो भी नागरिक किसी भी सेवा व योजना के लिए आवेदन करता है तो उस आवेदक को पावती भी दी जाएं।
एक्ट के तहत ये है जुर्माने का प्रावधान:
डीसी ने बताया कि निर्धारित समय मेंं काम न होने पर आवेदक प्रथम अपीलेट अथोरिटी के पास तीस दिन के अंदर-अंदर जा सकता है। इसके बाद 60 दिन के अंदर-अंदर द्वितीय अपीलेट अथोरिटी तथा निश्चित समय सीमा में काम न होने पर इसमेंं ऑटो अपील का भी प्रावधान है। उन्होंने बताया कि कमीश्रर मामले में स्वयं संज्ञान ले सकते हैं तथा संबंधित अधिकारी व कर्मचारी की जिम्मेदारी तय करके 250 से 5 हजार रुपए का जुर्माना लगा सकता है। अगर आवेदक को सेवाएं न मिलने से अधिक नुकसान हुआ है तो आवेदक को एक हजार रुपए देने का प्रावधान है। आरटीआई की तरह कमीशन संबंधित अधिकारी को सम्मन कर सकता है तथा उस पर जुर्माना लगा सकता है।
डीसी ने बताया कि अब विभागोंं का प्रफोरमेंस इंडीगेटर बताएगा कि विभागों की सेवाओं की गुणवत्ता कितनी है। इसी आधार पर जनता में भी उस विभाग की इमेज बनती है। ऐसे मेंं अधिकारी अपने विभाग को सबसे अच्छा साबित करनेे के लिए तय समय में काम करें। उन्होंने बताया कि आमजन को समयबद्ध तरीके से नागरिक केन्द्रित सेवाएं प्रदान करने के लिए जिला में ई-गर्वनेंस के तहत शुरू किए गए सरल केन्द्र का हैल्पलाइन नंबर बदलकर 0172-3968400 कर दिया गया है, इसका सीधा संबंध अब मुख्यालय से होगा।
कार्यशाला में एसडीएम रेवाड़ी रविन्द्र यादव, एसडीएम कोसली होशियार सिंह, एसडीएम बावल संजीव कुमार, सीटीएम रोहित कुमार, डीएसपी हंसराज, डीडीपीओ एचपी बंसल, डीआईओ सुनील कुमार, डॉ अशोक, सहित सभी विभागों के अधिकारी व कर्मचारी उपस्थित रहे।
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