रेवाड़ी। शहर के भाड़ावास फाटक पर ओवरब्रिज व अंडरपास के निर्माण के चलते डेवलपमेंट कारपोरेशन लिमिटेड (एचएसआरडीसी) द्वारा भाड़ावास रोड फाटक से वाहनों की एंट्री बंद कर दी गई। इस मार्ग से गुजरने वाले भारी और हल्के वाहनों व दोपहिया वाहनों के लिए प्रशासन की ओर से रूट डायवर्ट किया गया है। डायवर्ट किए गए रूट के अनुसार भाड़ावास, सुलखा व शाहजहांपुर सहित इस मार्ग पर स्थित गांवों की तरफ जाने के लिए वाहन चालक अग्रसेन चौक स्थित पशु अस्पताल के साथ बने रोड से फाटक पार कर गांव रामपुरा होते हुए वापस परशुराम कॉलोनी के निकट इसी मार्ग पर जा सकेंगे। इसी प्रकार शाहजहांपुर रोड से शहर की तरफ आने वाले वाहन परशुराम कॉलोनी से बाएं मुड़कर गांव रामपुरा होते हुए पशु अस्पताल के निकट अग्रसेन चौक पर आ सकेंगे।
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तय करना पड़ेगा लंबा रास्ता:
शहर का भाड़ावास फाटक पर पुल निर्माण के चलते दो साल तक बंद रहेगा। हरियाणा रोड एंड ब्रिज डेवलपमेंट कारपोरेशन लिमिटेड (एचएसआरडीसी) की ओर से भारी वाहनों के लिए भाड़ावास फाटक पर प्रवेश बंद कर दिया गया है। दो तीन दिन में चौपहिया व दोपहिया वाहनों का भी प्रवेश बंद कर दिया जाएगा। फाटक के बंद होने से करीब दो साल तक लोगों को भाड़ावास रोड पर जाने के लिए लंबा रास्ता तय करना पड़ेगा।
दो साल बंद रहेगा मार्ग:
भाड़ावास फाटक के दूसरी ओर कई कॉलोनियां हैं तथा बड़ी संख्या में आबादी रहती है। फाटक बंद होने से इन लोगों की शहर से सीधी कनेक्टिविटी खत्म हो जाएगी। भाड़ावास फाटक पर ओवरब्रिज और अंडरपास का निर्माण कार्य कम से कम दो साल में पूरा होगा। दो साल की इस लंबी अवधि के दौरान फाटक पार के लोगों को लंबा रास्ता तय करके शहर में प्रवेश करना होगा।
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इन रास्तों से निकल सकेगा ट्रैफिक
-फाटक के दूसरी ओर बसे हंस नगर, न्यू आदर्श नगर व परशुराम कॉलोनी सहित अन्य गांवों के लोगों को बारा पत्थर रोड से होते हुए रामपुरा गांव से होते हुए आना होगा।
-जाटूवास गांव के निकट से बिठवाना गांव होते हुए बावल रोड से रेवाड़ी आया जा सकता है।
-भारी वाहनों का प्रवेश नए बाईपास के निकट से ही बंद कर दिया गया है। उन्हें हरिनगर-नारनौल रोड होते हुए आना होगा।
छोड़े गए अलग-अलग टेंडर
एचएसआरडीसी की ओर से 37 करोड़ व रेलवे की ओर से 25 करोड़ रुपये के अलग-अलग टेंडर छोड़े गए हैं। यानी दोनों विभागों की ओर से करीब 62 करोड़ रुपये से आरओबी व आरयूबी का निर्माण कराया जाएगा। अंडरपास निर्माण का कार्य दो साल तक चलेगा। यह एक लंबी अवधि है। अभी तक जो वैकल्पिक मार्ग है, उनसे काफी घूमकर आना होगा। 2016 के हिसाब से भाड़ावास फाटक पर यातायात घनत्व 6,36,620 था, जो अब काफी बढ़ चुका है।