बहनें बोलीं- रक्षा बंधन के लिए इससे अनमोल कोई गिफ्ट नहीं
पानीपत: नीरज की जीत के बाद गांव में जश्न का माहौल देखने को मिला। मैच के दौरान नीरज के थ्रो करने पर पिता सतीश चोपड़ा, चाचा भीम सिंह और डीसी सुशील कुमार ससारवान सोफे से खड़े होकर नाच उठे। टोक्यो ओलिंपिक में भारत को पहला गोल्ड मेडल दिलाने वाले नीरज चोपड़ा के परिजनों के खुशी के आंसू नहीं रुके। बहन संगीता और सरिता ने कहा कि रक्षाबंधन आने वाला है। भाई इस पवित्र त्योहार से पहले ओलिंपिक में गोल्ड मेडल जीता गया। किसी भी बहन के लिए दुनिया का सबसे बड़ा उपहार है। मां बोलीं कि नीरज ने 11 साल की मेहनत को सोने में बदल दिया।
भारत को ओलिंपिक में पहला गोल्ड मेडल दिलाने वाले पानीपत के गांव खांडरा निवासी नीरज चोपड़ा के परिजन खुशी के आसुओं में डूबे दिखाई दिए। थ्रो करने पर पूरा पंडाल नीरज-नीरत के जयकारों से गूंजता रहा।
बहनें बोलीं- रक्षा बंधन के लिए इससे अनमोल कोई गिफ्ट नहीं
घर के पुरुष और गांव के लोग घेर के बाद बड़ी LED पर मैच देखते रहे। जबकि मां, बहनें और पड़ोस की महिलाओं ने घर पर मैच देखा। मैच के दौरान और बाद में नीरज की बहनों की आंखों में खुशी के आंसू देखने को मिले।
मां बोलीं- 11 साल की मेहनत को सोने में बदला
नीरज के गोल्ड जीतने के बाद मां सरोज देवी ने बताया कि नीरज ने देश के लिए गोल्ड जीतने को 11 साल से कड़ी मेहनत की है। परिवार भी पूरी तरह नीरज के साथ रहा। इसी का परिणाम है कि नीरज ने 11 साल की मेहनत को सोने में बदला है।
जीत के साथ ही गांव में शुरू हुआ जश्न
खांडरा गांव में शनिवार दोपहर 1 बजे से ही नीरज का मैच देखने की तैयार शुरू हो चुकी थी। गांव की मुख्य सड़कों पर स्वागत और मैच देखने के लिए उनके घर के बाहर LED स्क्रीन लगाई गई। पूरा गांव पंडाल जुटा। नीरज के स्क्रीन पर आते ही पूरा पंडाल नीरज-नीरज के नाम से गूंज उठा। गोल्ड जीतते ही पूरा गांव में जश्न डूब गया।